रिपोर्टकर्ता सूरज नायक ने मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा के मार्फत जमानत का किया था विरोध।
डमरुआ न्यूज़. घरघोड़ा!
भू-अभिलेख संधारण के षासकीय पोर्टल में छेड़-छाड़ करके बडे़ पैमाने पर धोखा धड़ी और जालसाजी के आरोपी शि वानन्द गिरी की जमानत याचिका अपर सत्र न्यायाधीष घरघोड़ा द्वारा खारिज कर दी गई है।
पटवारी शिवानन्द गिरी के विरूद्ध पुलिस थाना-घरघोड़ा में भारतीय दण्ड विधान की धारा 420,467,468,469,471,472,120बी 34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है, जिसमें रिपोर्टकर्ता सूरज नायक ने यह रिपोर्ट लिखाया था कि इस पटवारी ने शासकीय भूमि को फाल्स सिंह नामक व्यक्ति के नाम पर सरकारी पोर्टल में दर्ज करके धोखाधड़ी, जालसाजी और षड़यंत्र करके सूरज नायक के पास बिकवा दिया एवं जब जमीन पर नामान्तरण की कार्यवाही षुरू हुई, तो इसी जमीन को सरकारी पोर्टल मंे फिर से षासकीय भूमि के रूप में दर्ज कर दिया, जिससे सूरज नायक बुरी तरह से ठगी का शिकार हो गया। शिवानन्द गिरी ने जिस फाल्स सिंह के नाम पर भुइंया पोर्टल में जमीन को दर्ज किया था, वह फाल्स सिंह भी पुलिस जांच में फर्जी पाया गया तथा उसका आधार कार्ड भी फर्जी पाया गया। पटवारी के विरूद्ध घरघोड़ा थाना में जुर्म दर्ज होते ही पटवारी शिवानन्द गिरी फरार हो गया एवं लगभग 2 वर्ष तक पुलिस उसे ढूंढती रही लेकिन गिरफ्तार कर पाने में नाकामयाब रही।
इस दौरान पटवारी शिवानन्द ने अग्रिम जमानत पाने के लिये हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया लेकिन देश की शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट नें भी पटवारी को जमानत देने से इंकार कर दिया जिसके बाद इसी माह पटवारी शिवानन्द ने सरेन्डर होकर रेगुलर बेल का आवेदन पेश किया।
अपर सेशन जज घरघोड़ा माननीय अभिषेक शर्मा के न्यायालय में पटवारी के जमानत आवेदन का विरोध करने के लिये रिपोर्टकर्ता सूरज नायक ने मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोेकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा के मार्फत लिखित आपत्ति पेश कराया एवं आपत्ति के साथ सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट का वह आदेश भी पेश किया, जिसमें पटवारी की अग्रिम जमानत याचिका निरस्त की गई थी।
इस प्रकरण में 9 अप्रैल को अपर सेशन जज घरघोड़ा के न्यायालय में मिश्रा चेम्बर के अधिवक्ता विजय षर्मा ने रिपोर्टकर्ता की ओर से तर्क करते हुए जमानत याचिका का विरोध किया।
दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपर सेशन जज घरघोड़ा ने पटवारी षिवानन्द गिरी को प्रकरण का प्रमुख आरोपी होना करार देते हुए एवं 2 वर्षो तक फरार रह कर विवेचना को प्रभावित करना दर्शाते हुए उसे जमानत पर मुक्त करने से इंकार कर दिया।
गौर तलब है कि विद्वान न्यायाधीश ने अपने आदेश मंे यह भी लेख किया है कि पटवारी शिवानन्द ने शासकीय सेवक होने के बाद सरकारी पोर्टल मंे छेड़छाड़ करके षासन के साथ भी धोखाधड़ी किया है इसलिये वह जमानत पर रिहा किये जाने का हकदार नही है।
न्यायालय का आदेश होने के बाद पीड़ित सूरज नायक ने इसे न्याय की जीत की संज्ञा देते हुए कहा कि अदालत का यह आदेश ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति रोकने की दिषा में मील का पत्थर साबित होगा एवं इस आदेष से समाज में न्याय व्यवस्था के प्रति सकारात्मक संदेश गया है इसलिये इस आदेश के कारण धोखाधड़ी का अपराध करने वालों के मन में निश्चित ही दण्ड का भय उत्पन्न होगा एवं ऐसे अपराधों में कमी आयेगी।