जांजगीर चाम्पा लोक सभा मे भारतीय जनता पार्टी का लगतार चार पंचवर्षीय से कब्ज़ा है, जांजगीर चाम्पा की जनता कभी अटलजी के नाम पर तो कभी मोदी के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को विजय बना कर दिल्ली भेजती है |
परन्तु खड़ाऊ के सहारे वैतरनी पार करने वाले हर सांसद जितने के बाद आम जनता के पहुंच से दूर हो जाते है और यदा कदा ही जनता के बीच दिखते है |
जब शीर्ष नैतृत्व के नाम पर ही जनता से वोट पाने की चाह भाजपा को होती है तब शीर्ष नैतृत्व का एक ऑफिस जांजगीर चाम्पा लोक सभा मे क्यों नहीं खोला जाता? पार्टी खुद जानती है की जांजगीर चाम्पा का सांसद केवल संख्या गिनती मात्र के लिए होता है, इसीलिए लिए तो आज तक यहां के सांसद को सांसद की कुर्सी छोड़ कोई जवाबदारी केंद्र से नहीं मिली |
ऐसे मे पांच साल मे प्रधानमंत्री यदि घोखे से पहुंच भी जाते है तो वो आम जनता के पहुंच से बहुत दूर होते है |
ऐसे मे आखिर मतदाता को कब तक ठगती रहेगी भारतीय जनता पार्टी |
आज आम जन मानस के बीच चर्चा का विषय है, की प्रधानमंत्री पांच साल मे एक बार यहाँ आते है वो भी खाली हाथ, और सांसद महोदय पहुंच से दूर |
ऐसे मे कब तक इस लोकसभा क्षेत्र की जनता को ठगा जा सकता है | यह देखने वाली बात है |
पांच वर्ष पूर्व भी तत्कालीन भाजपा प्रत्याशी की निष्क्रिय होने की संभावना व्यक्त की थी | जो सच निकली और अन्तः भाजपा को प्रत्याशी बदलना पड़ा |