Uncategorizedटॉप न्यूज़

शंकरलाल को जमानत बचाने अब कीर्तन मण्डलियों का ही सहारा!

अपने वोट का सदुपयोग करने जनता खंगाल रही प्रत्याशियों का ट्रैक रिकॉर्ड

डमरुआ न्यूज़ /रायगढ़. विधानसभा चुनाव 2023-24 के मैदान में उतर चुके प्रत्याशियों के ट्रैक रिकॉर्ड को जनता खंगाल रही है, किस प्रत्याशी का ट्रैक रिकॉर्ड क्या कहता है, सने अब तक लोगों के दिलों में कितनी इज्जत और ईमानदारी कमाई है इसका फैसला चुनाव के नतीजे के साथ ही हो जाएगा। बहरहाल कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अपना दावा ठोंकने वाले शंकर लाल अग्रवाल को पार्टी ने रायगढ़ विधानसभा के लिए उपयुक्त प्रत्याशी नहीं माना, लिहाजा उन्हें कांग्रेस की ओर से टिकट नहीं दी गई। कांग्रेस पार्टी की नजर में शंकर लाल अग्रवाल जिताउ प्रत्याशी नहीं हो सकते थे, शायद इसलिए उन्हें टिकट न देकर प्रकाश नायक को टिकट दी है। अब जनता की बारी है कि वो कांग्रेस पार्टी के इस फैसले को सर आंखों पर लेकर प्रकाश नायक को अपना आशिर्वाद देती है या फिर पार्टी के फैसले को गलत शाबित करते हुए बागी शंकर लाल अग्रवाल को अपने गले लगाती है।


इन सब तथ्यों के बीच जन मंचों से चुनाव के बनते बिगड़ते समीकरणों की चर्चाएं भी सुनाई दे रही हैं कि शंकर लाल अग्रवाल को अब केवल कीर्तन मंडलियांे का ही सहारा शेष है, उनके पीछे शंकरलाल ने काफी समय और धन पिछले पांच सालों में खर्च किया है और वर्तमान में भी कर रहे हैं, लेकिन जहां पार्टी की बात आती है तो प्रत्याशी गौण हो जाता है और पार्टी सर्वाेपरि हो जाती है। इसलिए शंकरलाल को जनता के बीच जो भाव उनके कांग्रेस के लिए काम करते वक्त मिलता था शायद वह अब नहीं मिल रहा है। उन्हें लोग बागी की नजरों से ही देख रहे हैं, कि जो व्यक्ति व्यक्तिगत स्वार्थ में आकर टिकट के चक्कर में पार्टी का साथ छोड़ दिया वो चुनाव जीतने के बाद जनता का साथ क्या निभाएगा। ऐसे में चर्चा यह है कि उनका साथ कोई दे अथवा न दे कीर्तन मंडलियां जरूर उनके सुख-दुख में सुर मिलाएंगी। अब चुनाव की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आती जाएगी वैसे-वैसे ये स्थिति भी साफ होती जाएगी कि कौन सा प्रत्याशी कितने पानी में है और उंट किस करवट बैठेगा।

विजय अग्रवाल बनने की कोशिस में नजर आ रहे शंकर अग्रवाल

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से टिकट न मिलने पर पूर्व विधायक विजय अग्रवाल बागी होते हुए चुनाव मैदान में उतर आए थे और कांग्रेस की लहर होने के बावजूद यहां इस कदर अपना दम खम दिखा दिया था कि कदाचित पार्टी भी अफसोस करने लग गई थी कि काश टिकट फाइनल करते वक्त विजय अग्रवाल को इतने हल्के में नहीं लिया गया होता! ठीक उसी प्रकार अपने आन, मान और शान के लिए शंकरलाल मैदान मे कूद पड़े हैं। यह बात और है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक कभी भी पैरासूट प्रत्याशी नहीं रहे और यहां स्थितियां कुछ और हैं।

कई निर्दलीय प्रत्याशी जमानत बचाने की जुगत में

अपने सम्मान को बचाने और किश्मत को आजमाने के लिए कुछ प्रत्याशी बागी तो कुछ यूं ही चुनाव मैदान में उतर आए हैं कुछ प्रत्याशी तो ऐसे हैं जिन्हें 99.9 प्रतिशत जनता न तो जानती है और न ही पहचानती है। ऐसे महानुभावों और भविष्य के माननीयों को जनता देखने को व्याकुल है, लेकिन वो दूर-दूर तक नदारद दिखाई दे रहे हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
×

Powered by WhatsApp Chat

×