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छत्तीसगढ़ उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने रायगढ़ के जिला आयोग का फैसला पलट कर उपभोक्ता को दिलाया न्याय

छत्तीसगढ़ उपभोक्ता संरक्षण आयोग नेसिद्धी विनायक आक्सीजन की अपील किया स्वीकार

  • DAMARUA/बिलासपुर।

जिला आयोग ने फैसला करने मंे लगाया चार साल का समय लेकिन राज्य आयोग ने चार माह के भीतर ही निपटा दिया पूरा मामला।

मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा ने दायर की थी अपील।

छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोगकी बिलासपुर बेंच ने अपने अहम फैसले में जिला आयोग रायगढ़ के उस फैसले को पलटते हुए जिला आयोग के आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें जिला आयोग ने बजाज एलियांज एश्योरेंस कम्पनी द्वारा बीमाकृत सिद्धी विनायक आक्सीजन की वाहन क्रमांक ब्ळ 13 ।ठ 7669 के दुर्घटनाग्रस्त होने पर अपने सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर उपभोक्ता का संपूर्ण बीमा क्लेम निरस्त करते हुए उपभोक्ता को राहत देने से इंकार कर दिया था।
बजाज एलियांज एश्योरेंस कि कम्पनी ने अपने सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर जिला आयोग रायगढ़ के समक्ष यह जवाब पेश किया था कि प्रश्नाधीन वाहन जिस ड्रायवर के द्वारा चलाया जा रहा था उसके पास ड्रायविंग लायसेंस नहीं था इसलिये शिकायतकर्ता के क्लेम स्वीकृत कराने के लिये ड्रायवर बदल कर क्लेम पेश किया है।
जिला आयोग के फैसले से असन्तुष्ट होकर इस मामले में मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार और उनके सहयोगी शीलू त्रिपाठी, नीतेश श्रीवास और प्रीति माहेश्वरी एडवोकेट ने छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग के समक्ष अपील क्रमांक 23/240 पेश किया एवं राज्य आयोग को बताया कि बजाज एलियांज एश्योरेंस कम्पनी ने डेढ़ वर्ष हो जाने के बाद भी शिकायतकर्ता के बीमा क्लेम का निराकरण नहीं किया बल्कि क्लेम के भुगतान से बचने के लिये अपने सर्वेयर से यह झूठी सर्वे रिपोर्ट तैयार करा लिया कि दुर्घटना दिनॉक को प्रश्नाधीन वाहन कोई अन्य ड्रायवर चला रहा था। यदि बीमा कंपनी के सर्वेयर की रिपोर्ट सत्य होती तो उस ड्रायवर का नाम भी स्पष्ट किया गया होता, जो वास्तव में दुर्घटना दिनॉक को वाहन चला रहा था तथा शिकायतकर्ता का बीमा क्लेम खारिज कर दिया गया होता परन्तु बजाज एलियांज ने शिकायतकर्ता का बीमा क्लेम अंत तक न तो स्वीकृत किया, न ही खारिज किया बल्कि वर्षो से इसे पेंडिग रखा है, जो उपभोक्ता के प्रति सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार का जीता-जागता प्रमाण है।
राज्य आयोग के समक्ष शिकायतकर्ता के वकील अशोक कुमार मिश्रा ने दर्शाया कि जिला आयोग ने इस मामले में स्वयं बीमा कंपनी बनकर बीमा क्लेम का गुणदोषों पर निराकरण कर दिया है, जो सर्वथा अविधि सम्मत है। बल्कि जिला आयोग का यह कर्तव्य था कि उपभोक्ता के बीमा क्लेम का वर्षो तक निराकरण न करने के संदर्भ में बीमा कंपनी से उपभोक्ता को मुआवजा दिलाते हुए उसका क्लेम एक तयशुदा सीमा के भीतर निराकृत करने का निर्देश बीमा कंपनी को देना था।
राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा द्वारा दोनो पक्ष की बहस सुनने के बाद और पूरे मामले का बारीकी से अध्ययन करने के बाद जिला आयोग रायगढ़ के फैसले को रद्द करते हुए शिकायतकर्ता की अपील मंजूर कर लियाएवं बजाज एलियांज कंपनी को निर्देशित किया कि बजाज एलियांज एश्योरेंस कंपनी अपीलार्थी को नौ लाख नवासी हजार सात सौ चार रूपये का भुगतान 24 जुलाई 2019 से रकम अदायगी दिनॉक तक 6 :वार्षिक की दर से भुगतान करे साथ ही मानसिक कष्ट में दस हजार रूपये एवं मुकदमें के खर्च के मद में पांच हजार रूपए का भी भुगतान करे।
राज्य आयोग का फैसला आने के बाद मिश्रा चेम्बर के एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह फैसला उपभोक्ता के हित संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा परन्तु उन्हें तब और खुशी होती यदि यही फैसला जिला आयोग रायगढ़ ने किया होता एवं कई साल तक प्रताड़ित उपभोक्ता को रायगढ़ में ही न्याय मिल गया होता।
उन्होंने कहा कि अधिकांश बीमा कंपनियां तरह-तरह का प्रलोभन देते हुए भविष्य का सुनहरा सपना दिखा कर उपभोक्ता से बीमा राशि और प्रीमियम के नाम पर मोटी रकम वसूलती रहती हैं लेकिन जब उनका ग्राहक जोखिम में फंस जाता है और बीमा क्लेम करता है, तब यही बीमा कंपनियां तरह -तरह का बहाना बनाते हुए उसे बीमा रकम देने से इंकार करके उसका पूरा सपना तोड़ देती है, जो ग्राहक के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है।
उपभोक्ताओं के लिये अब समय आ गया है कि वे झूठा भरोसा दिलाकर बीमा के नाम पर रकम ठगने वाली कंपनियों को जानें-पहचानें एवं उसी बीमा कंपनी से बीमा कराएं, जिसकी विश्वसनीयता बेदाग हो, ताकि उन्हें न्याय पाने के लिये वर्षो तक अदालतों का चक्कर न काटना पड़े।
ज्ञात हो कि पूर्व में जिला आयोग रायगढ़ नें शिकायतकर्ता को उपभोक्ता मानने से ही इंकार कर दिया था लेकिन जिला आयोग का यह आदेश भी राज्य आयोग नें रद्द कर दिया था।
शिकायतकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा, श्रीमती शीलू त्रिपाठी, नीतेश श्रीवास और कु.प्रीति माहेश्वरी ने इस समूचे प्रकरण में राज्य आयोग के इस फैसले के संबंध में कहा कि इस फैसले से उन बीमा कंपनियों को भी सबक लेना चाहिये, जो सब्जबागदिखाकर बीमा करने के बाद जिम्मेदारी निभाने का समय आते ही गिरगिट की तरह रंग बदल देती हैं साथ ही जिला आयोग रायगढ़ के लिये भी यह फैसला पथ प्रदर्शक के रूप में उपयोगी साबित होगा।

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