Damrua News/रायगढ़। एक पीड़िता पिछले एक माह से खुद को तीसरी बार बिकने से बचाने के लिए पुलिस से फरियाद कर रही है, लेकिन पुलिस की ओर से अब तक इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया गया है, ऐसे में एक ओर जहां आरोपियों के हौसले बुलंद हैं तो दूसरी ओर पीड़िता बेघर होकर अपनी लाज बचाने दर-दर की ठोकरें खानें को मजबूर है। हैरानी की बात यह है कि छत्तीसगढ़ में भी क्या महिलाएं इतनी असुरक्षित हैं और शिकायत के एक माह बाद भी डंडा धारियों की ओर से आरोपियों को लगातार अभयदान मिल रहा है।
पीड़िता ने 4 अप्रैल 2024 को थाना प्रभारी जूटमिल सहित उच्चाधिकारियों को भेजे गए अपने शिकायत पत्र में लिखा था कि – ‘‘ मेरी मां एवं द्वारा मेरे साथ बचपन से ही घिनौना कृत्य कराया जा रहा है, जब मैं 17 साल की थी तब मुझे उक्त लोगों ने झांसी मध्यप्रदेश में सौदा कर बेच दिया था। मेरे खरीददार जब मुझे ले जाने लगे तब मैं काफी रोई और चिल्लाई तब वे लोग चले गए, लेकिन मुझे मेरी मां एवं मामा ने एक बार फिर से मेरी नाबालिग अवस्था में ही जूटमिल थाना अन्तर्गत उस व्यक्ति के पास बेच दिया, जो पहले से ही तीन-तीन पत्नियां रखा हुआ था। इस प्रकार इस खरीद-बिक्री को शादी का रूप देते हुए मेरा खरीददार और तथाकथित नाबालिग का पति मुझे अपने घर पर ले आया। जहां वह मेरे साथ रात-दिन मनमानियां करता रहता है और मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता रहता था एवं उसके खाने पीने व इलाज की भी व्यवस्था नहीं करता था। माह जनवरी 2024 में जब मेरी तबीयत काफी खराब हुई तब मैं किसी प्रकार उस तथाकथित नाबालिग के पति के घर से निकल कर जिंदल हॉस्पिटल गई जहां मेरा पूर्व परिचित दोस्त मिला, मेरे पास इलाज के लिए पैसे नहीं होने पर उसने मेरे इलाज के लिए पैसे दिए , लेकिन जब इस बात की जानकारी मेरे पति को हुई तब उसने मुझे मारपीट और डरा धमका कर उसी के खिलाफ बलात्कार का मामला चक्रधरनगर थाने में दर्ज करा दिया और मुझे अपने घर से निकाल दिया। तथाकथित नाबालिग के पति के घर से निकाल दिए जाने के बाद मैं अपने मां के घर आ गई लेकिन वहां मेरी मां और मामा ने मिलकर मुझे किसी तीसरे व्यक्ति के पास बेचने और धंधा करवाने के लिए प्रयास करने लगे मुझे मां और मामा द्वारा इस कार्य को करने के लिए खूब पीटा भी गया तब मैं किसी प्रकार बच कर वहां से भाग गई । मेरे द्वारा चक्रधरनगर एवं जूटमिल में कई बार इस घटना की शिकायत की गई लेकिन वहां से मुझे भगा दिया गया तब मैंने लिखित शिकायत डाक के माध्यम से थाने में और पुलिस के अधिकारियों को दिया, लेकिन इस शिकायत पर लगभग एक माह बीतने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस स्थिति में मैं अपने आप को बिकने से बचाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रही हूं। मेरी मां ने मेरा मोबाईल छीन लिया है मैं बेघरबार होकर इधर-उधर भटक रही हूं।‘‘
पीड़िता की ओर से इस मार्मिक पत्र के प्राप्त होने के बाद भी यदि पुलिस की ओर से कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई है तो हम यह सोचने पर विवश हैं कि शायद इस शिकायत पत्र में लिखी हुई बातें आरोपियों पर मामला पंजीबद्ध करने के लिए काफी नहीं हैं, अथवा पुलिस को कुछ इससे भी बड़ी अनहोनी होने का इंतजार है जिसके बाद थाने का रोजनामचा इस पीड़िता की शिकायत के लिए खुलेगा।
क्या कहते हैं थाना प्रभारी-
इस संबंध में जूटमिल थाना प्रभारी ने बताया कि शिकायत पर संज्ञान लिया गया है और जांच जारी है।