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जैव विविधताओं से भरे जशपुर में वीआईपी मूवमेंट से पहले बनानी होगी रणनीति,वीआईपी सुरक्षा बेहतर समन्वय से ही सम्भव

संभावनाओं से भरे जशपुर में रहना होगा सावधान

फोटो: दीपू बगीचा में मधुमक्खियों के हमले से बचता हुआ बैगा
फोटो: दीपू बगीचा में मधुमक्खियों के हमले से बचता हुआ बैगा

@संतोष चौधरी

आपने फिल्मी गाना जरूर सुना होगा एक बरस के मौसम चार-मौसम चार,पांचवां मौसम प्यार का’।इस गाने को गुनगुनाते हुए जानिए की यह छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र जिला जशपुर है जहां एक बरस नहीं बल्कि बारहों महीने चार मौसम होते हैं।अधिक ठंडा,कम ठंडा,कम गर्म,अधिक गर्म।यही वजह है कि यहां जैव विविधता भी ज्यादा है।

तो मैं हाल की एक घटना से अपनी बात शुरू करना चाहूंगा जिसमें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय दीपू बगीचा में सरहुल पूजा उत्सव मनाने बतौर मुख्य अतिथि आने वाले थे।जिसमें सुबह तकरीबन साढ़े दस बजे के करीब धरती माता की पूजा करते समय बैगा (आदिवासियों के पुजारी) धूप-अगरबत्ती जला दिए जिसके धुँए से पूजा स्थल के ऊपर पीपल पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता था,वे नाराज हो गए और बैगाओं पर बरस पड़े।इस कारण आनन-फानन में मुख्यमंत्री श्री साय का कार्यक्रम स्थल बदलकर कल्याण आश्रम स्कूल परिसर करना पड़ा।

इस कार्यक्रम के बाद से एक चर्चा सीएम सिक्योरिटी को लेकर चलने लगी।जिस पर मुझे लगता है कि ठीकरा फोड़ने से ज्यादा अच्छा होगा कि इस घटना से सबक लेते हुए आनेवाले हर वीआइपी, वीवीआइपी या कहूँ तो बड़े आयोजनों से पहले बेहतर समन्वय के साथ रणनीति बनानी होगी।

जल-जंगल और जमीन से अमीर जशपुर जिले में वीआईपी की सुरक्षा को लेकर हाथियों के मूवमेंट को देखते हुए, मधुमक्खियों के छत्तों को बिना छेड़े कार्यक्रम कराने के कई उदाहरण प्रशासन के पास होंगे।मुझे याद आ रहा है कि पम्पशाला में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कंवर समाज के बड़े उत्सव में आने से पहले उनकी सुरक्षा से जुड़ी सारी चीजें बारीकी से जांची-परखी जा चुकी थी जिसमें कार्यक्रम से महज सौ मीटर बाद मधुमक्खियों के पचासों छत्ते थे।समय रहते यह पता चल गया और पुल के पास प्रस्तावित भोजन पकाने की तैयारी बंद कर दी गई।जिससे कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।

इससे पहले की एक घटना पूर्व सीएम भूपेश बघेल से जुड़ी है जिसमें कुनकुरी पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में भेंट मुलाकात के समय रेस्ट हाउस के बगल में पानी टँकी में कई सारे छत्ते थे जिन्हें वन विभाग के मना करने के बावजूद अन्य विभाग के द्वारा जला दिया गया था। जिससे मधुमक्खियों की नाराजगी बढ़ी और रेस्ट हाउस में हर जगह भिनभिनाने लगी।सीएम का समाज के लोगों के साथ मुलाकात के कार्यक्रम व्यवधान पैदा हो गया।
समन्वय का एक उदाहरण और, जैसा कि भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने मुझे बताया कि विधानसभा चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह विजयी रथ से कांसाबेल पहुंचे थे जहाँ से कुछ ही दूरी पर पीपल पेड़ पर मधुमक्खियों के कई सारे छत्ते थे,जिन्हें उनके आने से पहले व्यवस्थित कर लिया गया था। एक बार गर्ल्स कॉलेज जशपुर में भी एक आयोजन के दौरान सांप घुस आया था।जिसे भी प्राचार्य विजय रक्षित द्वारा भगदड़ मचने से पहले हटा दिया गया।

तो यह बात समझने की है कि जब भी कोई उच्च पदधारी व्यक्ति का जिले में आगमन हो तो सभी विभाग समय से पहले हर बारीकियों और दिशा निर्देशों का पालन करें और आयोजकों से करावें।

धर्म-आस्था से जुड़ी कई ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें हमें सम्मान देते हुए समझना भी होगा।हमारे जिले की बात करूं तो यहां मधुमक्खियों को देवीसेना के रूप में मान्यता है।जिसके कारण इन्हें जलाकर हटाने की बजाए बैगा द्वारा मंत्रोच्चार कर बांधा जाता है।यदि प्रशासन इसे अंधविश्वास मानकर बिना इनकी अनुमति के छत्ते हटाने की कोशिश करेगा तो मधुमक्खियों से पहले यहां के लोग भिन्ना जाएंगे। एक्सपर्ट बताते हैं कि मधुमक्खियों को हटाने की पूरी प्रक्रिया पांच दिनों की है।पहले दिन बैगा या जानकार व्यक्ति द्वारा मंत्रोच्चार कर मधुक्खियों को भगाया जाता है । उनके छत्ता छोड़ने के बाद छत्ते को जलाया जाता है ।इसके बाद मधुमक्खियां दो दिन तक छत्ते के आसपास मंडराती रहेंगी और जब उन्हें यह मालूम हो जाएगा कि कोई नुकसान नहीं हुआ है तो फिर वे शांत हो जाएंगी और दूसरे स्थान पर नया छत्ता बनाने लगेंगी। 5 दिन के बाद ही माना जाता है कि अब वे नहीं लौटेंगी।

अतः मेरे विचार से ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन की जानकारी होते ही समय से पहले सभी विभाग बेहतर समन्वय के साथ रणनीति बनाएंगे तो कभी यूँ न होगा।सब काम सांय-सांय होगा।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और यह उनके निजी विचार हैं।)

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