डमरुआ न्युज/मुंबई – महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने का कोई आदेश दो महीने में नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के रूप में, विधायिका की संप्रभुता को बनाए रखना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। नार्वेकर ने कहा, ‘विधायिका की संप्रभुता से समझौता नहीं होने दिया जाएगा और न ही किया जाएगा। मैं अदालत के आदेश के सम्मान के साथ विधायिका की संप्रभुता को बनाए रखने के लिए कार्य करूंगा।’ उन्होंने कहा कि वह उचित कानूनी सलाह लेने के बाद शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं की सुनवाई के लिए संशोधित कार्यक्रम बनाने पर निर्णय लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय तक पहुंचने में देरी के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई। राहुल नार्वेकर ने कहा, ‘कोई आदेश नहीं दिया गया है कि शेड्यूल तैयार होने के दो महीने के भीतर निर्णय लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट का आदेश ऑनलाइन उपलब्ध है। इसमें नोटिस देने के मुद्दे का उल्लेख है। कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि परिणाम दो महीने में या कुछ दिनों में दिए जाने चाहिए।’
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‘ले रहा हूं कानूनू सलाह’
विधानसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि चूंकि संविधान के तहत न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका का समान स्थान है, इसलिए यह सभी का कर्तव्य है कि वे अदालत या संविधान के बनाए गए संस्थानों का सम्मान करें। जो व्यक्ति संसदीय लोकतंत्र में विश्वास करता है, वह संविधान के बनाई गई इन संस्थाओं का सम्मान करेगा। यह कहते हुए कि उन्होंने यह नहीं सुना कि कौन कहता है कि परिणाम कब दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात पर ध्यान देता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या लिखा है। मैं की जाने वाली कार्रवाई के संबंध में कानूनी सलाह ले रहा हूं।’
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सोमवार तक का समय!
प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व वाली शीर्ष अदालत की एक पीठ ने शुक्रवार को नार्वेकर से कहा कि वह सुनवाई को एक छल में न बदलें और याचिकाओं पर तेजी से निर्णय लेने के लिए एक समय सीमा तय करें। इसने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे नार्वेकर को सुनवाई पूरी करने के लिए सोमवार तक एक कार्यक्रम देने के लिए कहें।