Damrua

फर्जी कुनबी समाज संगठन प्रकरण: देवराज पारधी और साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज, अदालत ने जारी किया वारंट

वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्रा और अधिवक्ता श्रीमती शीलू त्रिपाठी ने कहा कि यह फैसला उन अपराधियों के लिए स्पष्ट संदेश है जो सोचते हैं कि वे कानून से बच सकते हैं। “न्यायालय की नजर में कोई बाहुबली नहीं होता।”

डमरुआ न्यूज़ /रायपुर: राजधानी रायपुर में कुनबी समाज संगठन के फर्जी पदाधिकारियों के खिलाफ बड़ा एक्शन हुआ है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, रायपुर की अदालत ने देवराज पारधी, पुरुषोत्तम टोण्डरे और श्याम देशमुख के खिलाफ धोखाधड़ी और दस्तावेजी कूटरचना के गंभीर आरोपों में मामला दर्ज कर उनकी उपस्थिति के लिए वारंट जारी कर दिया है।

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फर्जी तरीके से संस्था का संचालन
आरोप है कि इन तीनों ने संस्था भवन का ताला तोड़कर खुद को कुनबी समाज संगठन का पदाधिकारी घोषित कर लिया और लोगों से चंदा वसूलने लगे। इतना ही नहीं, वे संगठन के बैंक खाते से अवैध रूप से राशि निकालते रहे, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही उनकी कार्यकारिणी को अवैध घोषित कर चुकी थी।

अदालत में पेश हुए साक्ष्य
इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने के लिए संगठन के पूर्व अध्यक्ष रामेश्वर नाकतोड़े ने मिश्रा चेंबर रायगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्रा और आशीष कुमार मिश्रा के माध्यम से अदालत में आपराधिक मामला दायर किया था। पीड़ित सतीश रावते, विजय बेंद्रे और रामेश्वर नाकतोड़े ने अदालत में बयान दर्ज कराए, साथ ही 10 दस्तावेजी प्रमाण भी पेश किए गए।

बैंक खाता फ्रीज होने के बावजूद जारी रहा फर्जीवाड़ा
संगठन का बैंक खाता पहले ही 2023 में फ्रीज कर दिया गया था, फिर भी आरोपी आम जनता को गुमराह कर चंदा वसूलते रहे। जब इस मामले की शिकायत छत्तीसगढ़ शासन तक पहुंची, तो वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने 15 मार्च 2024 को देवराज पारधी की कार्यकारिणी को अवैध घोषित कर छह माह के भीतर नए चुनाव कराने के निर्देश दिए। बावजूद इसके, आरोपीगण मनमानी करते रहे।

अदालत ने दिए कड़े निर्देश
5 फरवरी को इस मामले में रायगढ़ के वरिष्ठ वकील अशोक कुमार मिश्रा और उनकी सहयोगी अधिवक्ता श्रीमती शीलू त्रिपाठी ने न्यायालय में तर्क प्रस्तुत किए। संपूर्ण साक्ष्यों का अध्ययन करने के बाद अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 420, 466, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी किया।

“कानून अब भी जिंदा है” – परिवादी रामेश्वर नाकतोड़े
न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए परिवादी रामेश्वर नाकतोड़े ने कहा, “आज महसूस हुआ कि कानून अब भी जिंदा है। पहले ऐसा लगने लगा था कि इन आरोपियों के सामने कानून का अस्तित्व ही नहीं है।”

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