Damrua

अवैध खनन से निकले पत्थरों पर चल रहा सर्वमंगला क्रेशर, प्रशासन मौन!

सारंगढ़: जिले के टीमरलगा स्थित सर्वमंगला क्रेशर पर गंभीर आरोप लगे हैं। यह क्रेशर खुद खनन नहीं कर रहा, बल्कि अवैध रूप से निकाले गए पत्थरों को लेकर संचालन कर रहा है। सवाल यह है कि जब पत्थर ही अवैध हैं, तो फिर क्रेशर का संचालन वैध कैसे हो सकता है?

कैसे चल रहा यह खेल?

जानकारी के अनुसार, क्षेत्र में कई जगहों पर बिना अनुमति अवैध खनन किया जा रहा है। यहां से निकाले गए पत्थरों को छिपाकर या सांठगांठ के जरिए सर्वमंगला क्रेशर में पहुंचाया जाता है। इस तरह, बिना किसी वैध खनन पट्टे के, पत्थरों की ढुलाई और प्रसंस्करण किया जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा? यदि खनन अवैध है, तो फिर यह पत्थर क्रेशर तक कैसे पहुंच रहे हैं? क्या खनन विभाग और स्थानीय प्रशासन की इसमें मिलीभगत है?

खनन माफिया का खुला खेल?

यह कोई पहला मामला नहीं है जब सारंगढ़ जिले में अवैध खनन और क्रेशर संचालन की खबरें सामने आई हैं। इससे पहले भी खनन माफिया और प्रशासनिक अधिकारियों के गठजोड़ की बातें सामने आती रही हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे यह खेल बदस्तूर जारी है।

प्राकृतिक संसाधनों की लूट और पर्यावरण संकट

अवैध खनन और इस तरह के क्रेशर संचालन से पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है।

नदी-नालों का स्वरूप बिगड़ रहा है, जिससे जल स्रोतों पर असर पड़ रहा है।

धूल प्रदूषण और वायु गुणवत्ता में गिरावट के कारण आसपास के गांवों में सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं।

सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं, क्योंकि भारी वाहनों से पत्थरों की ढुलाई की जा रही है।


कानूनी प्रावधान और संभावित कार्रवाई

भारतीय खनिज कानून के तहत, बिना अनुमति खनन और अवैध रूप से पत्थरों का परिवहन अपराध की श्रेणी में आता है।

अवैध खनन करने वालों पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

अवैध खनिज का उपयोग करने वाले क्रेशर पर भी कार्यवाही संभव है।

यदि प्रशासन निष्क्रिय रहता है, तो इस मुद्दे को उच्च स्तर पर उठाया जाना चाहिए।


निष्कर्ष

सर्वमंगला क्रेशर अवैध खनन को बढ़ावा देने का केंद्र बन गया है। अगर प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो यह न केवल प्राकृतिक संसाधनों की लूट को बढ़ाएगा, बल्कि खनन माफिया को और ताकत देगा।

क्या प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर मामले को दबा दिया जाएगा? आपकी राय क्या है? कमेंट में बताएं!

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