कृषि अधिकारी–समिति कर्मचारी दोनों ने उठाए गंभीर सवाल
जांजगीर। खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की धान खरीदी शुरू होने में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं, लेकिन तैयारी के सरकारी दावों पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। कलेक्टर द्वारा जारी धान खरीदी प्रभार आदेश के बाद हालात और बिगड़ते दिख रहे हैं।
जहाँ कृषि विभाग के अधिकारी प्रभार दिए जाने के विरोध में एडिशनल कलेक्टर से मिलकर 13 तारीख को प्रस्तावित प्रशिक्षण का भी बहिष्कार कर चुके हैं, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा पत्र जिला विपणन अधिकारी (DMO) के “पूरी तैयारी” वाले दावे की सीधी पोल खोल रहा है।
कृषि अधिकारियों ने कहा—अनुभवहीन को प्रभार देना जोखिम भरा
सरकार ने कृषि विस्तार अधिकारी और कृषि विकास अधिकारी को अस्थायी समिति प्रबंधक बना दिया है।
अधिकारियों ने एडिशनल कलेक्टर को बताया
धान खरीदी और ऋण वसूली दोनों तकनीकी व जोखिमपूर्ण कार्य
कृषि विभाग को इनका अनुभव नहीं
त्रुटि की स्थिति में दंडात्मक कार्रवाई का पूरा भार नए अधिकारियों पर
नमी गिरने से वजन अंतर प्राकृतिक, लेकिन शासन इसे “गबन–चोरी” मान लेता है
अधिकारियों का कहना है कि ऐसे जोखिम भरे वातावरण में प्रभार लेना सीधा कानूनी फंदा गले डालने जैसा है।
नवंबर–जनवरी की 15 घंटे की ड्यूटी असंभव
उन्होंने बताया कि खरीदी 15 नवंबर से 31 जनवरी तक सुबह 8 से रात 10 बजे तक चलती है।
ऐसे में— फसल बीमा योजना, अनावरी,फील्ड निरीक्षण जैसे मूल कृषि कार्य पूरी तरह ठप हो जाएंगे। विभागीय कार्य प्रभावित होना तय है।
“तैयारी पूरी” का दावा झूठा? वायरल पत्र ने खोली पोल
दूसरी तरफ समिति कर्मचारियों का DMO को लिखा पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें खरीदी पूर्व की तैयारियों को अधूरा और भ्रम फैलाने वाला बताया गया है।
तीन बड़े अनुबंध अभी तक नहीं हुए—पत्र में खुलासा
1. विपणन संघ सेवा सहकारी समिति
2. सेवा सहकारी समिति हमाल/मजदूर दल
3. विपणन संघ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक
कर्मचारियों ने कहा कि—“जब मूलभूत अनुबंध ही नहीं हुए तो खरीद–विक्रय, भंडारण और परिवहन किस आधार पर शुरू होगा? और अव्यवस्था होगी तो जिम्मेदार कौन?”
DMO को भेजे पत्र में लगाए गंभीर आरोप
कर्मचारियों ने पत्र में लिखा—
हमारी चार लंबित मांगों को लेकर हड़ताल जारी
प्रभार शासकीय अधिकारियों को सौंपा गया
खरीदी पूर्व की चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था अभी भी अधूरी
ऐसे में “व्यवस्थाएँ पूरी हो गई हैं” कहना जनता व शासन को भ्रमित करना है
कर्मचारियों ने साफ चेतावनी भी दी—
“यदि अधूरी तैयारी में खरीदी शुरू की गई, तो प्रदेशभर के केंद्रों में भारी अव्यवस्था होगी।”
स्थिति गंभीर—दोनों पक्षों का बहिष्कार, प्रशासन उलझन में
कृषि अधिकारी प्रभार का बहिष्कार कर चुके हैं।
समिति कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
अनुबंध अधूरे हैं।
बावजूद इसके शासन “पूरी तैयारी” का दावा कर रहा है।
प्रशासन के हाथ-पाँव फूलने लगे — कलेक्ट्रेट में देर रात तक हलचल
दो दिन से लगातार घटनाक्रम बदलने से जिला प्रशासन के भी हाथ-पैर फूलने लगे हैं।
कलेक्ट्रेट में देर रात तक मीटिंगों का दौर चलता रहा।
अंदरखाने से खबर है कि प्रशासनिक स्तर पर स्थिति नियंत्रण में नहीं लग रही।
कोई अधिकारी सामने बोलने को तैयार नहीं, लेकिन माहौल साफ बताता है—
“इस बार की धान खरीदी प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित होने जा रही है।”

























