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रोहित मित्तल नहीं… रायगढ़ का ‘पुष्पा’ है मैं!

हरियाणा नंबर की ब्लैक स्कॉर्पियो और 18 चक्का ट्रक से 40 लाख की तेंदू–खैर की तस्करी कर रहा था मित्तल

खबरों का तांडव / रायगढ़।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में ‘पुष्पा’ फिल्म की कहानी हकीकत बन चुकी है। यहां खैर और तेंदू जैसी प्रतिबंधित लकड़ियों की तस्करी ने जंगलों की जड़ों तक सेंध लगा दी है।

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गुरुवार की देर रात रेंगालपाली सर्किल के कुर्मापाली–गोर्रा मार्ग के बीच वन अमले ने छापा मारकर हरियाणा नंबर की ब्लैक स्कॉर्पियो और 18 चक्का ट्रक जब्त किया, जिनमें लाखों रुपये की अवैध लकड़ियाँ भरी थीं।
छुईपारा निवासी महेन्द्र यादव (26 वर्ष) को मौके से हिरासत में लिया गया, जबकि स्कॉर्पियो सवार तस्कर भागने में सफल रहे। जांच में एक बार फिर रोहित मित्तल गैंग का नाम सामने आया है, जो पहले भी इसी तरह की लकड़ी तस्करी में पकड़ा जा चुका है।

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लकड़ियों को उर्दना काष्ठागार भेजा गया है। रेंजर हेमलाल जयसवाल ने बताया कि बरामद लकड़ियों का मूल्यांकन जारी है और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।
वन विभाग ने पी.ओ.आर. काटते हुए वन अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
“फिल्म में चंदन था, रायगढ़ में खैर और तेंदू — ‘पुष्पा पार्ट 2’ का असली लोकेशन!”
स्थानीय लोगों ने बताया कि रायगढ़ और इसके आसपास के इलाकों में पिछले कई सालों से यह अवैध कारोबार चल रहा है।

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बाहरी राज्यों की गाड़ियों — विशेषकर हरियाणा, झारखंड और ओडिशा नंबर की ट्रकों — का इस्तेमाल पहचान छिपाने के लिए किया जाता है।
“पुष्पा” फिल्म में जैसे पुष्पराज कानून और सिस्टम को ठेंगा दिखाकर तस्करी करता था, वैसे ही रायगढ़ का यह नेटवर्क भी सरकारी आंखों में धूल झोंक देता है।
हर बार जांच होती है, लेकिन गिरोह का असली ‘किंगपिन’ कानून के शिकंजे से बाहर ही रहता है।

संक्षिप्त जानकारी-

स्थान: रेंगालपाली सर्किल, रायगढ़ वन परिक्षेत्र
जब्ती: हरियाणा नंबर की ब्लैक स्कॉर्पियो और 18 चक्का ट्रक
बरामद: खैर और तेंदू की लकड़ियाँ (प्रतिबंधित प्रजाति)
गिरफ्तार: रोहित मित्तल, महेन्द्र यादव (26 वर्ष),

कार्रवाई: वन अधिनियम के तहत अपराध दर्ज, P.O.R. जारी रेंजर हेमलाल जयसवाल बोले कि “लकड़ियों की कीमत का आकलन जारी है। गिरोह में और भी नाम सामने आ सकते हैं।”

पिछली बड़ी कार्रवाइयाँ

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दैनिक भास्कर से साभार

24 फरवरी 2025: जामटिकरा गोदाम से भारी मात्रा में 40 लाख की खैर लकड़ी बरामद — आरोपी वही गिरोह।
24 जुलाई 2024: रायगढ़–कोतरा रोड पर हरियाणा नंबर की बोलेरो में अवैध लकड़ी जब्त।
24 दिसंबर 2023: सारंगढ़ क्षेत्र से 20 लाख की तेंदू लकड़ी बरामद — मुख्य आरोपी फरार।
24 अक्टूबर 2022: गजमार क्षेत्र में लकड़ी तस्करी का सबसे बड़ा रैकेट पकड़ा गया, जिसमें बाहरी राज्यों की संलिप्तता मिली।

पुष्पा सिंडिकेट — कौन है असली खिलाड़ी?

प्रतिबंधित लकड़ियाँ बाहरी राज्यों से लाई जाती हैं।
हरियाणा व झारखंड नंबर की गाड़ियों से तस्करी।
रायगढ़ में निजी गोदामों में लकड़ी का डंपिंग।
कई उद्योगपतियों और ट्रांसपोर्टरों की संलिप्तता की चर्चा।
कार्रवाई के बाद भी नेटवर्क फिर सक्रिय हो जाता है।

जंगल के नहीं, तस्करों के कानून चल रहे हैं!

स्थानीय पर्यावरण संरक्षक कार्यकर्ताओं का कहना है कि —
“जंगल काटने वाले हरियाणा के नहीं, रायगढ़ के अपने ‘पुष्पा’ हैं। कानून और प्रशासन की नाक के नीचे लकड़ियों की ट्रकें गुजर जाती हैं, लेकिन कार्रवाई सिर्फ दिखावे की होती है.

“जब तक जंगल बिकता रहेगा, तब तक ‘पुष्पा’ जिंदा रहेगा…”

रायगढ़ में हर कुछ महीनों में प्रतिबंधित लकड़ियों की बड़ी खेप पकड़ी जाती है — कभी ट्रक में, कभी गोदाम में, तो कभी रात के अंधेरे में जंगल के रास्तों पर। हर बार वही कहानी, वही आरोपी और वही नतीजा — “कार्रवाई जारी है।”
यह वाक्य अब प्रशासनिक जिम्मेदारी का नहीं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बन चुका है।
सच्चाई यह है कि लकड़ी तस्करी अब अपराध नहीं, कारोबार बन चुकी है — और इस कारोबार में तस्कर अकेले नहीं हैं। कहीं न कहीं सत्ता, सिस्टम और साइलेंस की तिकड़ी भी इसमें बराबर की हिस्सेदार है।
“पुष्पा” फिल्म में नायक कहता है —
“मैं झुकता नहीं…”
रायगढ़ के जंगलों में यह डायलॉग अब अपराधी नहीं, व्यवस्था दोहरा रही है।
जंगल की जड़ें कट रही हैं, लेकिन जांच की जड़ें वहीं अटकी हैं।
जब तक इन अपराधों को “स्थानीय नेटवर्क” कहकर टाला जाता रहेगा, तब तक लकड़ी नहीं, हमारी संवेदनाएं बिकती रहेंगी।
और यही कटु सत्य है —
जब तक जंगल बिकता रहेगा, तब तक ‘पुष्पा’ जिंदा रहेगा।

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