Damrua /घरघोड़ा :
महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा के अवसर पर जहां एक ओर आस्था और भक्ति की बयार बह रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ गांवों में ‘खुड़िखुड़िया’ नामक जुए के अवैध खेल ने मेलों की पवित्रता को कलंकित कर दिया है।
गांव-गांव में लग रहे रथयात्रा मेलों में खुलेआम जुए के अड्डे सज रहे हैं, और दर्भाग्यपूर्ण यह है कि यह सब कुछ पुलिस की आंखों के सामने हो रहा है, पर कार्रवाई कहीं नहीं।
स्थानीय लोगों की मानें तो यह जुए का खेल केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सुनियोजित लूट का अड्डा बन चुका है, जिसमें ग्रामीणों की मेहनत की कमाई रोज़ाना लुट रही है। सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि बच्चे और युवा इस अवैध खेल के प्रति आकर्षित हो रहे हैं, जिससे उनमें नशे और अपराध की लत की संभावना बढ़ती जा रही है।
खाकी वर्दी का संरक्षण?
सूत्रों के अनुसार, खुड़िखुड़िया का संचालन करने वाले लोग स्थानीय पुलिस अधिकारियों से ‘आशीर्वाद’ प्राप्त कर ही इस गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं। हर दिन अवैध वसूली के बदले उन्हें छूट दी जाती है, और यही कारण है कि शिकायतों के बावजूद पुलिस मौन है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि रथयात्रा के नाम पर जुआ मेला चल रहा है, और जब उन्होंने घरघोड़ा थाने को इस संबंध में सूचित किया, तो पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, न ही मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।
प्रशासनिक चुप्पी, सामाजिक चिंता
रथयात्रा जैसे धार्मिक आयोजन के दौरान इस प्रकार के अवैध गतिविधियों का होना पूरे समाज के लिए शर्मनाक है। एक ओर सरकार युवाओं को नशामुक्ति और नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन की नाक के नीचे यह अवैध कारोबार दिन-ब-दिन फल-फूल रहा है।
जनता पूछ रही है – किसकी शह पर चल रहा है यह खेल?
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि —
क्या पुलिस को इस अवैध कारोबार की जानकारी नहीं है?
अगर है, तो कार्यवाही क्यों नहीं?
और अगर नहीं, तो फिर पुलिस व्यवस्था की निगरानी पर भी सवाल खड़े होते हैं।
जिम्मेदारों पर त्वरित कार्रवाई हो
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और रायगढ़ पुलिस अधीक्षक से हस्तक्षेप की मांग की है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह खुड़िखुड़िया केवल जुआ नहीं, बल्कि समाज को खोखला करने वाला नासूर बन जाएगा।
बिलकुल। नीचे इस समाचार रिपोर्ट को फोटो सहित और भी ज़्यादा प्रभावी और प्रमाणिक रूप में प्रस्तुत किया गया है — ताकि यह समाचार पत्र, पोर्टल या सोशल मीडिया पर जन-जागरूकता और प्रशासनिक कार्रवाई के लिए उपयोगी हो:
📍 घटना स्थल: फगुराम, छत्तीसगढ़
📅 दिनांक व समय: 30 जून 2025, शाम 5:40 बजे
📷 साक्ष्य:

(तस्वीर: GPS लोकेशन और समय सहित – फगुराम, छत्तीसगढ़)
⚠️ पुलिस को दी गई जानकारी, फिर भी चुप्पी
स्थानीय ग्रामीणों ने घरघोड़ा थाने को इस घटना की जानकारी दी, लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुँची। आरोप है कि इन जुआ अड्डों को पुलिस की मौन सहमति प्राप्त है, और कुछ तथाकथित ‘संचालक’ तो हर दिन वर्दीधारियों से आशीर्वाद लेने की बात खुलेआम कहते हैं।
👨👩👧👦 बच्चे और युवा हो रहे हैं शिकार
इस अवैध खेल में सबसे ज्यादा नुकसान बच्चों और युवाओं को हो रहा है, जो रथयात्रा के नाम पर लगे मेलों में इस जुए की ओर खिंचे चले आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह भविष्य में नशा, अपराध और सामाजिक पतन की ओर ले जा सकता है।
📣 जनता पूछ रही – पुलिस क्यों मौन है?
- क्या घरघोड़ा पुलिस को इस जुए की भनक नहीं?
- अगर सूचना के बावजूद कार्यवाही नहीं होती, तो इसके पीछे कौन से ‘संरक्षक’ हैं?
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यह केवल एक खेल नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य लूटने वाली साजिश है।
: घरघोड़ा से राकेश ठाकुर की रिपोर्ट :