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रायगढ़ : तस्करी की रेत में फिसलता कानून, पुलिस और माइनिंग विभाग के हाथ किसने बांधे…

“ रायगढ़ जिले में रेत तस्करी का साम्राज्य: पुलिस और खनिज विभाग की चुप्पी में छुपा ‘वरदहस्त’?”

स्थान: घरघोड़ा, जिला रायगढ़, छत्तीसगढ़
रिपोर्टिंग तिथि: 17 जून 2025


📍 जमीन से तस्वीरें, आसमान से साजिशें!

रेत के अवैध कारोबार में एक बार फिर घरघोड़ा क्षेत्र सुर्खियों में है। 17 जून की सुबह, फगुराम (कंचनपुर) के पास दो ट्रैक्टर—रेत से भरे हुए—कैमरे में कैद हुए, जिनकी जीपीएस लोकेशन, समय, और वाहन की स्थिति स्पष्ट रूप से तस्करी की पुष्टि करती है। इन तस्वीरों के अनुसार, यह तस्करी खुलेआम की जा रही है, जैसे मानो कानून नाम की कोई चीज़ इस क्षेत्र में शेष नहीं रह गई हो।


🛑 प्रशासन का ‘ढोल’ – भीतर से खोखला!

जब इस मामले में स्थानीय पुलिस से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा –

“रेत उत्खनन रोकना खनिज विभाग का काम है।”

वहीं खनिज विभाग का कहना है –

“वाहनों को पकड़ना और कार्यवाही करना पुलिस का विषय है।”

यह जवाब ‘तस्करी के संरक्षण’ की एक गहरी साज़िश की ओर इशारा करता है – जिसमें न केवल विभागों की निष्क्रियता, बल्कि संभावित मिलीभगत भी उजागर होती है।


⚖️ कानून है लेकिन कार्रवाई नहीं!

छत्तीसगढ़ माइनिंग नियमावली एवं पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम के तहत अवैध उत्खनन पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है, फिर भी यह कार्रवाई कागजों से बाहर नहीं निकल रही। क्या इस चुप्पी के पीछे राजनीतिक वरदहस्त है? क्या यह तस्करी एक ‘पैसे की मशीन’ बन चुकी है जिसका लाभ कुछ सफेदपोश लोग उठा रहे हैं?


🔍 कंचनपुर से खरसिया तक—रेत के घाटों पर खुला व्यापार

  • स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कंचनपुर, बुड़गा, उरमाल, फगुराम, और अन्य रेत घाटों पर हर दिन 10-20 ट्रैक्टर अवैध रूप से रेत की ढुलाई करते हैं।
  • ना रॉयल्टी पर्ची, ना वैध परमिट — फिर भी प्रशासनिक आंखें बंद हैं।

📸 सबूतों की गूंज: तस्वीरें बोल रही हैं

आपके द्वारा साझा की गई दोनों तस्वीरें न सिर्फ दृश्य साक्ष्य हैं बल्कि यह साबित करती हैं कि –
स्थान: फगुराम, छत्तीसगढ़
तिथि: 17 जून 2025
समय: सुबह 6:12 से 6:14 के बीच
गतिविधि: अवैध रूप से रेत से लदे ट्रैक्टर चलित वाहन


🧭 सवाल जो जवाब मांगते हैं:

  1. खनिज विभाग और पुलिस एक-दूसरे पर जिम्मेदारी क्यों डाल रहे हैं?
  2. किस अधिकारी ने इन तस्करों को संरक्षण दे रखा है?
  3. क्या सरकार को यह तस्करी नहीं दिखती, या वह देखना नहीं चाहती?
  4. आम जनता और पर्यावरण की कीमत पर किसका खजाना भर रहा है?

📢 जनहित में मांग:

  • इस प्रकरण की राज्य स्तरीय जांच समिति से जाँच करवाई जाए।
  • जिला खनिज अधिकारी और थाना प्रभारी की भूमिका की जांच हो।
  • अवैध वाहनों को जब्त कर एफआईआर दर्ज की जाए।

यह रिपोर्ट छत्तीसगढ़ के प्रशासन, पुलिस के लिए एक आईना है — जिसमें वह खुद देख सकते हैं कि तस्करी की रेत में कानून कैसे फिसल रहा है।


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