Sakti News।।शिक्षा विभाग की एक महिला अधिकारी पर करोड़ों रुपये के गबन का आरोप लगाया गया है और अब उन्हें रिटायरमेंट से पहले ही निलंबित कर दिया गया है। उन पर वित्तीय अनियमितताओं के जरिए 1.5 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप था। इस मामले की जांच शिकायत के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें आरोप सही पाए गए। इसके बाद, कलेक्टर ने संयुक्त संचालक को कार्रवाई की सलाह दी।
रिटायरमेंट से पहले महिला अधिकारी का निलंबन..
जांच पूरी होने पर कलेक्टर ने एक पत्र भेजा, जिसके आधार पर संयुक्त संचालक ने महिला अधिकारी को निलंबित किया। यह मामला इसलिए खास है क्योंकि आरोपी अधिकारी सिर्फ 6 दिन बाद रिटायर होने वाली थीं। रिटायरमेंट के इतने करीब होने के बावजूद, घोटाले में शामिल होने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया।
कलेक्टर ने वित्तीय गड़बड़ी की शिकायत को गंभीरता से लिया और तुरंत जांच का आदेश दिया। रिपोर्ट में आरोप सही पाए जाने पर कलेक्टर ने संबंधित विभाग को कार्रवाई की सिफारिश की।
महिला अधिकारी की सेवानिवृत्ति महज कुछ दिन दूर थी, लेकिन उनके खिलाफ की गई कार्रवाई ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की वित्तीय अनियमितता पर कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने सरकारी विभागों में वित्तीय पारदर्शिता के महत्व को फिर से उजागर किया है। यह अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि सेवा में कोई भी गड़बड़ी गंभीर परिणाम ला सकती है।
पूरे मामले में, संयुक्त संचालक ने सविता त्रिवेदी, जो विकास खंड स्त्रोत समन्वयक हैं, को निलंबित किया है। कलेक्टर ने वित्तीय अनियमितता के आधार पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश की थी। सविता त्रिवेदी के खिलाफ करोड़ों रुपये के गबन के आरोप में पहली नजर में दोषी पाया गया।
उनका यह कार्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 के खिलाफ गंभीर कदाचार माना गया। अनुशासनात्मक कार्रवाई की शक्ति के तहत, सविता त्रिवेदी को तत्काल निलंबित कर दिया गया और उनका मुख्यालय जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सक्ती रखा गया।