“छोटे वाहनों पर सख्ती, बड़े पर नरमी — क्या हजारों बचाने की छुट की कीमत पर करोड़ों दांव पर?”
जांजगीर-चांपा।
छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (1 नवंबर) के अवसर पर जिले में सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पाण्डेय (IPS) के निर्देशन में यातायात जागरूकता एवं प्रवर्तन अभियान शुरू किया गया है।इस अभियान के तहत दोपहिया चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य किया गया है।
“आपका एक छोटा सा कदम — हेलमेट पहनना, आपकी और आपके प्रियजनों की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
इसी संदेश के साथ जांजगीर-चांपा पुलिस नागरिकों से “सुरक्षित रहिए, नियमों का पालन करिए” की अपील कर रही है।
हेलमेट और सीट बेल्ट — सुरक्षा की पहली दीवार यातायात विशेषज्ञों के अनुसार, हेलमेट और सीट बेल्ट किसी भी दुर्घटना में जीवनरक्षक उपकरण की भूमिका निभाते हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार,हेलमेट पहनने से सिर की चोट का खतरा 70% तक और मृत्यु की संभावना 40% तक घट जाती है।
इसी प्रकार, सीट बेल्ट से वाहन टकराव की स्थिति में गंभीर चोटों की संभावना लगभग 50% तक कम हो जाती है।
लेकिन विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि —“सुरक्षा उपकरण आवश्यक हैं, पर उससे भी अधिक जरूरी है उन कारणों को खत्म करना जिनसे दुर्घटनाएँ होती हैं।”दुर्घटनाओं का असली कारण ओवरलोडिंग और अव्यवस्थित यातायात
जिले की सड़कों पर सबसे बड़ा खतरा ओवरलोड वाहनों और लापरवाह ड्राइविंग से है।
हर 10 में से लगभग 6 हाईवा निर्धारित भार सीमा से अधिक सामान लेकर चलते हैं।
इनसे न सिर्फ सड़कें टूटती हैं, बल्कि ब्रेक फेल, टायर फटने और पलटने जैसी घटनाएं भी बढ़ रही हैं।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि —“छोटे वाहन चालकों पर चालान की सख्ती तो दिखती है, लेकिन ओवरलोड ट्रकों पर खामोशी क्यों?”
असमान कार्रवाई से बढ़ा असंतोष
शहर और मुख्य मार्गों पर रोजाना दोपहिया चालकों पर भारी जुर्माना लगाया जा रहा है।
हेलमेट न पहनने या कागजात अधूरे होने पर त्वरित कार्रवाई होती है,
जबकि भारी वाहनों पर न के बराबर रोकथाम की जाती है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ जगहों पर “मामूली वसूली” कर ट्रक और हाईवा को छोड़ दिया जाता है।कानून सबके लिए समान होना चाहिए
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 की धारा 113 और 194(1) के तहत ओवरलोडिंग पर भारी जुर्माने और वाहन जब्ती का प्रावधान है,
परंतु जिले में ऐसे मामलों की रिपोर्ट बहुत कम दर्ज की जा रही है।
यह स्थिति पुलिस की कार्रवाई की चयनात्मकता पर सवाल उठाती है।
न्याय तभी सार्थक है जब नियम सब पर बराबर लागू हों
यदि पुलिस सच में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है,
तो उसे “सिर्फ हेलमेट और सीट बेल्ट” से आगे बढ़कर दुर्घटनाओं के मूल कारणों — ओवरलोडिंग, खराब सड़कें, अवैध स्टॉपेज और तेज रफ्तार — पर कठोर कार्रवाई करनी होगी।
सुरक्षा का अर्थ सिर्फ पालन नहीं, सुधार भी है “हेलमेट और सीट बेल्ट जीवन की ढाल हैं, लेकिन असली सुरक्षा तब है जब दुर्घटना का कारण ही समाप्त हो।”
कानून और व्यवस्था का उद्देश्य सिर्फ दंड नहीं, बल्कि निवारण होना चाहिए।
“सारी उम्र गलती दोहराते रहे, धूल चेहरे पर थी — हम आईना धुलवाते रहे…”
संदेश यही है — सड़क सुरक्षा दिखावे का नहीं, जवाबदेही का मुद्दा है।
न्याय और सुरक्षा तभी सुनिश्चित होगी जब कानून, कार्रवाई और जवाबदेही — तीनों समान रूप से लागू हों।


























