चाम्पा |कभी शांत और सुरक्षित माना जाने वाला चाम्पा नगर आज अपराधों की बाढ़ में डूबता जा रहा है। बीते कुछ महीनों में चाम्पा थाना क्षेत्र में चाकूबाजी, गैंगरेप, हत्या और चोरी जैसी गंभीर घटनाओं ने जनमानस को हिला कर रख दिया है। सबसे ताजा मामला नगर के रेलवे स्टेशन के पास घटित हुआ, जहां मामूली कहासुनी के बाद एक नाबालिग युवक ने चाकू मारकर एक व्यक्ति को घायल कर दिया।
इससे पहले भी बस स्टैंड क्षेत्र में इसी तरह की वारदात हो चुकी है। घटना चाहे दिन की हो या रात की, अपराधी अब बेखौफ नज़र आ रहे हैं। पुलिस की तत्परता से आरोपी तो पकड़ में आ जाते हैं, मगर सवाल यह है कि आखिर अपराधियों के मन में कानून का डर क्यों नहीं रह गया है?
रेलवे स्टेशन क्षेत्र में फिर चाकूबाजी
बीती रात रेलवे स्टेशन के पास पानी पीने को लेकर हुए मामूली विवाद में नरेंद्र नामक व्यक्ति पर एक नाबालिग युवक ने चाकू से हमला कर दिया। घायल को तत्काल शासकीय बीडीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका उपचार जारी है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी नाबालिग को हिरासत में ले लिया है। लेकिन यह पहली या इकलौती घटना नहीं है — बल्कि यह चाम्पा नगर में बढ़ते अपराध की श्रृंखला का एक और कड़ी है।
“अगले ओवर में गिरे विकेट, पिछले ओवर की गेंद का असर होते हैं”
इस हालात पर एक सटीक फ़िल्मी संवाद याद आता है — “अगले ओवर में गिरे विकेट, पिछले ओवर की गेंद का असर होते हैं।”
इसका अर्थ है कि आज घट रही हिंसात्मक घटनाएं दरअसल कल की लापरवाही और व्यवस्था की कमजोरी का परिणाम हैं। अपराधियों को यदि पहली घटना में ही कड़ी सजा और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता, तो वे दोबारा ऐसी हरकत करने की हिम्मत न करते। मगर जब पुलिस की कार्रवाई सतही रह जाती है, तब अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और वे एक के बाद एक वारदातों को अंजाम देते हैं।
समाज में डर, प्रशासन पर सवाल
इन लगातार हो रही घटनाओं ने चाम्पा नगर के नागरिकों के मन में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। आमजन अब रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बाजार जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने से भी हिचकने लगे हैं। माता-पिता अपने बच्चों को अकेले बाहर भेजने में डरने लगे हैं।
सवाल उठता है कि:
पुलिस गश्त और सतर्कता पर्याप्त क्यों नहीं है?
बार-बार एक ही तरह के अपराधों की पुनरावृत्ति क्यों हो रही है?
अपराधियों में कानून का डर क्यों नहीं है?
समाधान की दिशा में क्या हो प्रयास?
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब केवल तात्कालिक गिरफ्तारी या एफआईआर से समाधान नहीं होगा। आवश्यकता है:
सघन रात्रिकालीन गश्त, विशेषकर संवेदनशील क्षेत्रों में
असामाजिक तत्वों की पहचान और निगरानी
नाबालिग अपराधियों के लिए काउंसलिंग व सख्त कार्रवाई दोनों
स्कूल-कॉलेज व मोहल्लों में जागरूकता अभियान
आज चाम्पा नगर एक मोड़ पर खड़ा है, जहां यदि प्रशासन और समाज समय रहते कठोर और संवेदनशील रुख नहीं अपनाते, तो आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो सकती है। एकजुट प्रयासों से ही नगर को पुनः शांति और विश्वास का वातावरण लौटाया जा सकता है। वरना अगले ओवर में गिरने वाले विकेट, हर बार पिछली लापरवाही की कीमत बनते रहेंगे।