Damrua

सारंगढ़ के गुड़ेली में अवैध खनन पर शिकंजा, उच्च स्तरीय जांच में फंस सकते हैं खनिज माफिया, ihmo करेगी जांच की मांग

 

सारंगढ़ डमरुआ: छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ जिले में खनिज माफिया और अवैध क्रेशर संचालन से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं की खबरें सामने आ रही हैं। विशेष रूप से गुड़ेली क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन और रॉयल्टी में हो रही गड़बड़ियों के कारण स्थानीय लोग और पर्यावरण दोनों ही खतरे में हैं। इसके बावजूद, खनन विभाग और अन्य संबंधित अधिकारी इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे खनिज माफिया बेखौफ होकर अपनी गतिविधियाँ संचालित कर रहे हैं।

 

इस क्षेत्र में खनिजों का अवैध उत्खनन और उनके परिवहन में पहले से कई ज्यादा तेजी आई हैं। यहां क्रेशर प्लांट्स के संचालन के दौरान रॉयल्टी से जुड़ी अनियमितताएं चर्चा का विषय बना हुआ हैं, जो राज्य सरकार के लिए राजस्व हानि का कारण बन रही हैं। खबर है कि इन माफियाओं के पास स्थानीय राजनैतिक और प्रशासनिक स्तर पर उच्चस्तरीय संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।

 

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव

 

गुड़ेली में नियम विरुद्ध क्रेशर प्लांट्स के संचालन से पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। खनिज माफिया पर्यावरणीय नियमों और मानकों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और जल प्रदूषण बढ़ रहा है। प्लांट्स के आस-पास रहने वाले लोगों को सांस की बीमारियाँ और त्वचा से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, क्षेत्र में जल स्तर भी तेजी से घटता जा रहा है, जो भविष्य में इस क्षेत्र के किसानों और आम नागरिकों के लिए बड़ा संकट बन सकता है।

 

रॉयल्टी में हो रही हेराफेरी

 

अवैध खनन और क्रेशर प्लांट्स के संचालन के दौरान रॉयल्टी में भी बड़े स्तर पर हेराफेरी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, खनिज माफिया सरकारी नियमों का उल्लंघन कर रॉयल्टी की चोरी कर रहे हैं। वे खनिजों का अवैध रूप से उत्खनन कर उन्हें बिना रॉयल्टी के ही बेच रहे हैं। इसके लिए फर्जी दस्तावेजों और फर्जी स्लिप का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रकार की गतिविधियाँ सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुँचा रही हैं और खनिज माफिया इसे नजरअंदाज कर बड़े पैमाने पर लाभ कमा रहे हैं।

 

विभागीय अधिकारियों की लापरवाही

 

इस मुद्दे पर खनन विभाग और अन्य संबंधित विभागों की लापरवाही और उदासीनता भी स्पष्ट रूप से सामने आ रही है। अधिकारियों को इन अवैध गतिविधियों के बारे में जानकारी होने के बावजूद, उन्होंने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। स्थानीय मीडिया कर्मी और जनप्रतिनिधियों ने कई बार इस मुद्दे को उठाया है, लेकिन विभागीय अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। इससे खनिज माफियाओं का हौसला और बढ़ गया है और वे बेखौफ होकर अपनी गतिविधियाँ जारी रखे हुए हैं।

 

उच्च स्तरीय जांच की मांग

 

सारंगढ़ जिले में खनिज माफियाओं की बढ़ती गतिविधियों और विभागीय लापरवाही को देखते हुए अब इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की जा रही है। Ihmo संगठन ने इस मामले की जाँच राज्य स्तर की उच्च स्तरीय एजेंसियों द्वारा कराने की मांग पर जोर लगा रहे है, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके। वे चाहते हैं कि इन माफियाओं और उनसे जुड़े सभी तथ्यों की जाँच हो और दोषी पाए जाने पर उन्हें सजा दी जाए।

 

सरकार का राजस्व हो रहा प्रभावित

 

इन अवैध गतिविधियों के कारण राज्य सरकार को भारी राजस्व हानि का सामना करना पड़ रहा है। रॉयल्टी से बचने के लिए किए गए फर्जीवाड़े और अवैध खनन के चलते सरकार को करोड़ों रुपये की हानि हो रही है। यदि यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, तो आने वाले समय में राज्य को आर्थिक रूप से गंभीर हानि हो सकती है। ऐसे में सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान दें और उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

 

वर्तमान स्थिति में विभाग की भूमिका पर सवाल

 

खनिज विभाग और प्रशासन की निष्क्रियता पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। लोग आरोप लगा रहे हैं कि खनिज विभाग के कुछ अधिकारी इस अवैध गतिविधि में संलिप्त हैं और माफियाओं के साथ मिलीभगत कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में विभाग की निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न हो रहा है और इसके कारण उच्च स्तरीय जांच की मांग और भी मजबूत हो रही है। यदि प्रशासन ने जल्द ही इस पर ठोस कदम नहीं उठाया, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

 

लिहाजा सारंगढ़ जिले के गुड़ेली क्षेत्र में चल रहे अवैध खनन और क्रेशर प्लांट्स के कारण पर्यावरण और लोगों की सेहत दोनों को खतरा है। रॉयल्टी में हो रही हेराफेरी और विभागीय अधिकारियों की उदासीनता से यह समस्या और भी विकराल रूप ले रही है। ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह समस्या न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि राज्य सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

 

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