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जीएसटी आंकड़ों के आधार पर जीडीपी आकलन जल्द

 

0-तरीके और तकनीक पर निर्णय विशेषज्ञ समिति लेगी

नईदिल्ली। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना में सुधार के लिए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय राष्ट्रीय लेखा के आधार वर्ष में बदलाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए स्रोत के रूप में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के आंकड़े इस्तेमाल कर सकता है। यह जानकारी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। अब तक जीएसटी नेटवर्क गोपनीयता का हवाला देकर मंत्रालय के साथ यह डेटा साझा करने का इच्छुक नहीं था।

अधिकारी ने आगे कहा, ‘राष्ट्रीय लेखा के लिए आधार वर्ष बदलने के बाद नए डेटा स्रोत भी शामिल किए जाएंगे और मासिक जीएसटी डेटा भी उनमें से एक है। हम डेटा का इस्तेमाल करने के पहले उसे गोपनीय बनाएंगे। हम फिलहाल नए डेटा स्रोत नहीं शामिल कर सकते क्योंकि इससे तुलना में दिक्कत आएगी। इसके तरीके और तकनीक का निर्णय विशेषज्ञ समिति करेगी।Ó

जून 2024 में मंत्रालय ने राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी यानी एसीएनएएस को लेकर 26 सदस्यीय विशेषज्ञ सलाहकार समिति का गठन किया था। इसकी अध्यक्षता अर्थशास्त्री विश्वनाथ गोलदार को सौंपी गई और इसे फरवरी 2026 तक आधार संशोधन का काम पूरा करने को कहा गया है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हिमांशु कहते हैं कि जीएसटी डेटा, कंपनियों की बैलेंस शीट के डेटा का स्थान ले सकता है। फिलहाल कंपनी मामलों के मंत्रालय से हासिल इस डेटा का इस्तेमाल जीडीपी के आकलन के स्रोत के रूप में किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘कंपनी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों का जीडीपी में इस्तेमाल किए जाने में कुछ जाहिर दिक्कतें हैं। जीएसटी के जरिये लेनदेन के वॉल्यूम और आउटपुट डेटा के मूल्य का बेहतर अनुमान लगाया जा सकता है।Ó

2011-12 की जीडीपी सिरीज में कंपनी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों का इस्तेमाल शुरू होने के बाद एमओएसपीआई को विशेषज्ञों की आलोचना का सामना करना पड़ा था क्योंकि सांख्यिकी विभाग इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा सेट को उजागर नहीं करता था।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि जीएसटी का इस्तेमाल करके कंपनियों और व्यक्तिगत आय की जानकारी जुटाना एक स्वागतयोग्य कदम होगा। उन्होंने कहा, ‘मासिक जीएसटी डेटा कंपनियों के तिमाही नतीजो की तुलना में बेहतर संकेतक है। कंपनियों के तिमाही आंकड़े विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि अधिकांश कंपनियां समयबद्ध तरीके से नतीजे नहीं जारी करतीं।Ó

राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व कार्यवाहक चेयरमैन पी सी मोहानन का भी यही मानना है कि मासिक जीएसटी डेटा की मदद से जीडीपी का आकलन करना स्वागतयोग्य है।

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