सरेंडर करती सरकार, हिस्सेदार बना सिस्टम: घरघोड़ा में रोज करोड़ों की रेत तस्करी बेखौफ जारी
रायगढ़/घरघोड़ा।
“हमारे पास रोकने का अधिकार नहीं है” — यह कहना है पुलिस का।
“हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते” — यह कहना है खनिज विभाग का।
और तस्करों का कहना है — “हमारे आगे कोई नहीं बोलता, सब सेट है।”
जी हां, यह कहानी किसी फिल्म की नहीं बल्कि रायगढ़ ज़िले के घरघोड़ा क्षेत्र की है, जहां खुलेआम, डंके की चोट पर रोज़ाना करोड़ों की रेत तस्करी हो रही है। हमारे पास GPS लोकेशन, टाइम-स्टैम्प वाली तस्वीरें और ग्राउंड रिपोर्टिंग के ऐसे साक्ष्य हैं जो न सिर्फ़ तस्करों की बेखौफी दिखाते हैं, बल्कि पुलिस-प्रशासन की मौन साझेदारी को भी उजागर करते हैं।
“तस्करों के आगे सरेंडर” — यह अब सिर्फ़ कहावत नहीं, सच्चाई है
- बहिरकेला, कंचनपुर और बरोनाकुंडा जैसे क्षेत्रों में सुबह होते ही ट्रैक्टरों की कतारें लग जाती हैं।
- रेत सीधे नदी से लोड कर ट्रॉली में भरी जाती है और सरकारी रास्तों से堂堂 ले जाई जाती है।
- पुलिस हर जगह दिखती है, पर रुकती नहीं।
- खनिज विभाग सब जानता है, पर कोई रोक नहीं।
यह सब तब हो रहा है जब राज्य सरकार ने अवैध खनन के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति घोषित की है।
क्या यही है “सुशासन”?
जब सरकारी अमले के लोग यह कहने लगें कि “हमें रोकने का अधिकार नहीं,” तब समझना चाहिए कि सिस्टम या तो निष्क्रिय है या भ्रष्ट।
जब इलाके की जनता खुद तस्वीरें, लोकेशन और रिपोर्टिंग कर रही है, तो सरकारी मशीनरी का चुप बैठना साफ तौर पर माफिया से सांठगांठ का प्रमाण बन जाता है।
हिस्सेदारी की गवाही दे रही हैं तस्वीरें
हमारे पास मौजूद सबूतों में:
- 7 जून से लगातार 2025 की सुबह 7:14 से 7:35 तक, अलग-अलग लोकेशनों पर GPS और फोटो ट्रैक किए गए।
- ट्रैक्टरों के नंबर, रास्ते, और रेत भरने की लाइव तस्वीरें साफ बताती हैं कि तस्करी कोई चोरी नहीं, बल्कि खुला व्यापार है।
- स्थानीय लोगों के अनुसार, हर ट्रैक्टर के पीछे “हिस्से का सिस्टम” काम करता है — पुलिस से लेकर अधिकारी तक।
अब सवाल सरकार से:
- क्या रेत माफिया अब सरकारी सिस्टम का हिस्सा बन चुका है?
- क्या जनता ही अब रिपोर्टिंग करती रहे और अफसर सिर्फ़ कुर्सी गर्म करते रहें?
- क्या यही है आपका ‘गुड गवर्नेंस’?
अब नहीं रुकेगी आवाज़
हम यह सवाल बार-बार पूछेंगे।
हम जनता की आंख और आवाज़ बनकर यह मांग करते हैं कि:
🟥 तत्काल एक जांच समिति गठित की जाए।
🟥 जिम्मेदार अधिकारियों पर निलंबन व एफआईआर हो।
🟥 क्षेत्र में अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
(फोटो, GPS व ग्राउंड रिपोर्ट हमारे पास सुरक्षित हैं। ज़रूरत पड़ने पर सार्वजनिक किए जाएंगे।)