Damrua

रोड एक्सीडेंट, प्रशासन के सतहीय प्रयास से नहीं, कठोर कर्यवाही से कम होंगी

स्पीड गवर्नर लगा रहे मौत की मुहर: फिटनेस के बाद हटते हैं यंत्र, विभाग मौन

छत्तीसगढ़ में भारी वाहनों के लिए जीवनरक्षक माने जाने वाले स्पीड गवर्नर आज केवल कागज़ों तक सीमित रह गए हैं। एक ओर परिवहन विभाग फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने से पहले इन यंत्रों की उपस्थिति को अनिवार्य मानता है, वहीं दूसरी ओर फिटनेस के बाद ये यंत्र बड़े पैमाने पर हटा दिए जाते हैं। परिणाम – 1 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु, और अब भी सड़क सुरक्षा पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 30 जुलाई 2024 को “In The Matter Of Suo Moto Public Interest Litigation vs The State Of Chhattisgarh” (मामला संख्या: WPPIL No. 37 of 2024) में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया, जिसमें राज्य में सड़क सुरक्षा उपायों, विशेषकर वाणिज्यिक वाहनों में स्पीड गवर्नर की अनिवार्यता, पर जोर दिया गया। यह मामला न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर दायर जनहित याचिका था, जिसमें राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया।

राज्य सरकार ने न्यायालय को सूचित किया कि जनवरी 2023 से मार्च 2024 के बीच 1,05,038 वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाए गए हैं, जिससे वाहनों की गति को नियंत्रित किया जा सके।

और यह सही भी है की फिटनेस चेकिंग के दौरान वाहन मे स्पीड गर्वनर लगाए जाते है! परंतु वास्तविकता यह है की प्रमाणपत्र मिलने के बाद वाहन मालिक गवर्नर हटा देते हैं और यह किसी प्रशासनिक जाँच या सड़क पर रैंडम जांच का विषय नहीं बनता।

वाहन मालिक अक्सर स्पीड गवर्नर (Speed Governor) को हटाने का निर्णय व्यावसायिक लाभ, ग़लत धारणाएं और कमज़ोर प्रवर्तन व्यवस्था जैसी वजहों से लेते हैं। नीचे इसके मुख्य कारण दिए गए हैं:

स्पीड गवर्नर हटाने के प्रमुख कारण:

अधिक गति से चलाने की सुविधा

स्पीड गवर्नर वाहन की अधिकतम गति को नियंत्रित करता है (जैसे 60-80 किमी/घंटा पर रोक देता है)।

ट्रक, बस या टैक्सी मालिक अधिक दूरी तय करने और ज्यादा सवारी लेने के लिए इसे हटाते हैं।

लंबी दूरी के ट्रक ऑपरेटर अधिक राउंड ट्रिप कर पाएं — इसका मतलब ज्यादा कमाई।

कमाई पर असर पड़ना

ड्राइवर और मालिकों को लगता है कि स्पीड गवर्नर से वाहन धीमा चलता है, जिससे उनका रोज़ का रेवेन्यू घटता है।

शहरों में टैक्सी/ऑटो मालिक तेज गति में ज्यादा राउंड कर पाते हैं — उन्हें लगता है गवर्नर से यह नहीं हो पाएगा।

 तकनीकी जानकारी का दुरुपयोग

बाज़ार में गुप्त रूप से ऐसे मैकेनिक मिल जाते हैं जो स्पीड गवर्नर को सस्ते में डिसेबल या बायपास कर देते हैं।

कोई सॉफ्टवेयर अपडेट या वायर काटकर इसे निष्क्रिय कर दिया जाता है।

 जांच तंत्र की ढिलाई

पुलिस द्वारा सड़कों पर नियमित जांच नहीं होने से भी लोग लापरवाह हो जाते हैं।

कई वाहन मालिक सोचते हैं कि स्पीड गवर्नर केवल “अस्थायी” नियम है।

उल्लंघन संभावित कार्रवाई

फिटनेस सर्टिफिकेट रद्द RTO द्वारा वाहन को अयोग्य घोषित किया जा सकता है

परमिट रद्द वाणिज्यिक वाहन का परमिट रद्द किया जा सकता

केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 118 के अनुसार स्कूल वाहन, ट्रक, बस आदि में स्पीड गवर्नर अनिवार्य है।

छत्तीसगढ़ मोटर वाहन नियम, 1994 की धारा 76-B और 76-C में राज्य के भीतर स्कूल/शैक्षणिक संस्थानों की बसों के लिए स्पीड गवर्नर को अनिवार्य किया गया है।

 छत्तीसगढ़ राज्य में वाहनों की अधिकतम गति सीमा निम्नानुसार निर्धारित की गई है:

1. निजी हल्के मोटर वाहन (कार, SUV आदि) — शहरी क्षेत्रों में अधिकतम 50 किमी/घंटा, और राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों पर 100 से 120 किमी/घंटा तक की अनुमति है।

2. दोपहिया वाहन (मोटरसाइकिल, स्कूटर) — सामान्यतः शहरों में 50 किमी/घंटा और हाइवे पर 80 से 100 किमी/घंटा तक गति सीमा निर्धारित है।

3. टैक्सी, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा — शहरों में इनकी गति 30 से 40 किमी/घंटा तक सीमित की गई है; हाइवे पर अधिकतम 60 किमी/घंटा।

4. मालवाहक वाहन (ट्रक, कंटेनर आदि) — शहरी क्षेत्र में 40 किमी/घंटा और हाइवे पर 60 से 80 किमी/घंटा तक।

5. बसें व स्कूल वैन — बसों की अधिकतम गति शहरी क्षेत्रों में 40 किमी/घंटा और राजमार्गों पर 60 से 80 किमी/घंटा निर्धारित है।

उपरोक्त वाहनों में से टैक्सी, स्कूल वैन, बस व ट्रक जैसे वाहनों में स्पीड गवर्नर का होना कानूनी रूप से अनिवार्य हैं

वाहन मालिक को कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।

स्पीड गवर्नर सड़क सुरक्षा की रीढ़ है, और इसके साथ की जाने वाली यह ‘कागज़ी खानापूर्ति’ कई बार ज़िंदगी और मौत का फर्क तय करती है।

जब तक प्रशासन गवर्नर के स्थायी परीक्षण और सड़क पर औचक जांच को लागू नहीं करता, तब तक सड़क पर जान जोखिम में रहेगी — और कानून बस कागज़ पर रह जाएगा।

जानकारों की माने तो आज तक वाहन दुर्घटना के मामले मे जांच के दौरान वाहन मे लगने वाले स्पीड गर्वनर का उपस्थिती / अनुपस्थिती का जिक्र नहीं किया जाता जबकि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 194 D की स्थिति मे जिक्र होना चाहिए ! 

क्या है स्पीड गर्वनर : 

स्पीड गवर्नर वाहन की गति को एक तय सीमा से ऊपर नहीं जाने देता — यह विशेष रूप से सड़क सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी उपकरण है।

अब आइए विस्तार से समझते हैं:

स्पीड गवर्नर कैसे काम करता है?

स्पीड गवर्नर वाहन के इंजन या एक्सेलेरेशन सिस्टम से जुड़ा होता है। जब वाहन की गति एक निर्धारित सीमा तक पहुँच जाती है, तो गवर्नर उस गति से आगे एक्सेलेरेशन को रोक देता है।

 जांजगीर चांपा पुलिस कप्तान के बयानों से लगता है की वे रोड एक्सीडेंट को रोकने के लिए साजिदा तो है परंतु स्पीड गवर्नर के स्पाट चेकिंग की कोई भी कार्य योजना अभी तक जांजगीर चांपा पुलिस के पास नहीं है और ना ही पुलिस कप्तान महोदय ने इसकी कोई कार्य योजना सार्वजनिक की है, 

 जानकारों की माने तो आज तक इस स्पॉट चेकिंग के दौरान स्पीड गवर्नर की अनुपस्थिति के कारण किसी वहां पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर ध्यान देती है या प्रशासन का प्रयास केवल कागजोंऔर भाषणों तक सीमित रहता है

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