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सीआईडी के एसपी प्रद्युमन की भूमिका में विजय पांडे, तो दया कौन ?

अब जांजगीर-चाम्पा ‎ करेगी ‘CID’ जैसी डिजिटल जांच: 12 पारंपरिक तख्तियों के साथ जुड़ी हाईटेक ‘13वीं तख्ती’

जिले में अपराधों पर काबू पाने और पुलिस कार्यप्रणाली को अधिक तकनीकी एवं उत्तरदायित्वपूर्ण बनाने के उद्देश्य से पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पाण्डेय ने एक अहम पहल शुरू की है। जिले के सभी थाना और चौकी स्तर पर अब पारंपरिक 12 तख्तियों के साथ 13वीं ‘डिजिटल तख्ती’ को भी अनिवार्य कर दिया गया है।

यह नई डिजिटल तख्ती पुलिसिंग को तकनीक से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा और ठोस कदम है, जिससे अपराधों की पहचान, निगरानी और रोकथाम अब कहीं अधिक तेज़, आधुनिक और कारगर हो सकेगी।

🔹 पहले क्या थी ये 12 तख्तियाँ?

थानों और चौकियों में पुलिस द्वारा अब तक निम्नलिखित 12 तख्तियों का रख-रखाव अनिवार्य रूप से किया जाता था, जिनका उद्देश्य अपराध पर निगरानी और प्रशासनिक रिकॉर्डिंग था:

1. अपराध पंजी

2. गिरफ्तारी पंजी

3. वारंटी अपराधी तख्ती

4. निगरानी बदमाश तख्ती

5. स्थायी वारंट तख्ती

6. उद्घोषित अपराधी तख्ती

7. हिस्ट्रीशीटर तख्ती

8. गुम इंसान तख्ती

9. जब्ती तख्ती

10. साइबर अपराध से संबंधित रजिस्टर

11. महिला/बाल अपराध तख्ती

12. वाहन चेकिंग/संदेही निगरानी तख्ती

इन तख्तियों के माध्यम से थाना स्तर पर रिकॉर्ड बनाए जाते हैं, जिनसे क्षेत्र की आपराधिक स्थिति का लेखा-जोखा मिलता है। परंतु ये अधिकांशतः मैनुअल होती हैं और तकनीकी समन्वय सीमित होता है।

🔸 अब जुड़ रही है 13वीं तख्ती – डिजिटल तख्ती

इस नई डिजिटल तख्ती के अंतर्गत पुलिसकर्मियों को प्रतिदिन 7 केंद्रीय पोर्टलों और ऐप्स पर अपडेट दर्ज करना अनिवार्य किया गया है:

1. CCTNS – अपराधियों और अपराधों की केंद्रीय जानकारी

2. ICJS – न्यायिक प्रणाली से डेटा का आदान-प्रदान

3. E-Sakshya App – डिजिटल साक्ष्य संग्रह और संरक्षण

4. Cybercrime.gov.in – साइबर अपराध की शिकायत और मॉनिटरिंग

5. NATGRID – सुरक्षा एजेंसियों में जानकारी का साझा मंच

6. NAFIS – उंगलियों के निशान से पहचान की प्रणाली

7. CRI-MAC – गंभीर अपराधों की सूचना का राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म

 CID सीरियल से क्या मेल खाता है?

टेलीविजन पर प्रसारित होने वाला लोकप्रिय शो CID तकनीक आधारित अपराध जांच का एक काल्पनिक लेकिन आकर्षक उदाहरण है। अब ज़मीनी स्तर पर पुलिस उसी दिशा में वास्तविक और कानूनी रूप से आगे बढ़ रही है:

CID में फिंगरप्रिंट से अपराधी की पहचान — पुलिस अब NAFIS से ऐसा कर पा रही है।

CID में डिजिटल सबूत का प्रयोग — पुलिस अब E-Sakshya App से फोटो/वीडियो साक्ष्य सीधे अदालत के योग्य रूप में दर्ज कर रही है।

CID में अपराधी की इतिहास स्क्रीन पर — CCTNS से अब थाने में ही किसी का पुराना रिकॉर्ड देखा जा सकता है।

CID में टीम तुरंत ऐक्शन लेती है — डिजिटल तख्ती के ज़रिए थाने में बैठे-बैठे कार्यवाही की निगरानी हो रही है।

 इससे अपराध नियंत्रण में कैसे मदद मिलेगी?

तेज कार्रवाई: ऑनलाइन सिस्टम से पहचान, रिकॉर्ड और सूचनाएं तुरंत उपलब्ध होंगी।

डिजिटल सबूत: सबूतों को समय रहते सुरक्षित किया जा सकेगा, जिससे अदालत में प्रभावी पेशी हो सके।

साइबर अपराध पर अंकुश: ऑनलाइन धोखाधड़ी, सोशल मीडिया अपराध पर तत्काल कार्रवाई संभव होगी।

संपर्क और समन्वय: राज्य और केंद्रीय एजेंसियों के साथ रियल टाइम सूचना साझा हो सकेगी।

 पारदर्शिता: हर थाना प्रभारी को यह रिपोर्ट करनी होगी कि उन्होंने डिजिटल पोर्टलों पर क्या-क्या कार्रवाई की।

12 पारंपरिक तख्तियों की बुनियाद पर अब डिजिटल तख्ती का यह कदम जांजगीर-चाम्पा पुलिस को 21वीं सदी की डिजिटल अपराध जांच प्रणाली की ओर ले जा रहा है। यह न सिर्फ तकनीक का समावेश है, बल्कि एक नए पुलिसिंग संस्कार की शुरुआत भी है — जो तेज़ है, स्मार्ट है और जनता के प्रति जवाबदेह भी।

  पुलिस कप्तान की सोच वास्तव में अपराध रोकने में एक कारगर पहला हो सकती है, परंतु विभाग स्तर पर इसका कितना क्रियाएं में होता है यह देखने वाली बात होगी ! 

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