Damrua

पुलिस कप्तान के ” सार्थक प्रयास ” की परिभाषा क्या हैं?

सड़क पर मौत की रफ्तार: जब 90% हेवी वाहन बिना स्पीड गवर्नर के दौड़ रहे हों, तब “सार्थक प्रयास” की परिभाषा क्या हो

जांजगीर-चांपा :जिले के नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक विजय कुमार पाण्डेय (IPS) ने आज थाना बलौदा का वार्षिक निरीक्षण करते हुए यातायात दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए “सार्थक प्रयास” करने के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान पुलिसिंग में पारदर्शिता, फरियादियों की शिकायतों का त्वरित निराकरण, महिला अपराधों की रोकथाम और रात्रि गश्त को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए।

लेकिन इस निर्देश के साथ ही एक अहम और असहज सवाल जिले की सड़कों पर मंडराने लगता है —

क्या “सार्थक प्रयास” मात्र निर्देशों तक सीमित रह जाएंगे, जब जिले में 90% से अधिक भारी वाहन बिना स्पीड गवर्नर के दौड़ रहे हैं?

कागज़ी नियम, ज़मीनी लापरवाही

भारत सरकार ने वर्षों पहले सभी कमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर अनिवार्य कर दिए थे, ताकि रफ्तार पर लगाम लगाई जा सके। परंतु जांजगीर-चांपा जिले की हकीकत यह है कि लगभग 90% हेवी व्हीकल्स अब भी इस नियम की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं।

यह वाहन तेज रफ्तार में ओवरटेक करते हैं, सड़कों पर जान का जोखिम बनते हैं और अक्सर दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं। फिर भी, ना तो परिवहन विभाग गाड़ियों के फिटनेश प्रमाण पत्र देते  समय को छोड़ कर कभी कोई ठोस कार्रवाई दिखती है, और ना ही ट्रैफिक पुलिस द्वारा नियमित जांच।

 दुर्घटना दर घटेगी कैसे?

पुलिस अधीक्षक द्वारा दिए गए निर्देशों में गश्त बढ़ाने, प्रचार-प्रसार करने और बीट सिस्टम को मजबूत करने की बात कही गई है। ये उपाय निःसंदेह महत्वपूर्ण हैं, परंतु क्या इन उपायों से उन तेज रफ्तार वाहनों पर काबू पाया जा सकेगा जो स्पीड गवर्नर के बिना बेलगाम दौड़ रहे हैं?

क्या केवल सड़क किनारे बैनर और जनजागरूकता अभियान से मौत की रफ्तार कम होगी? या अब समय आ गया है जब तकनीकी निगरानी , स्वचालित चालान, और ऑन-रोड वेरिफिकेशन जैसे ठोस कदम उठाए जाएं?

किसकी जिम्मेदारी है?

परिवहन विभाग की ?

जिला प्रशासन की ?

ट्रैफिक पुलिस की ?

थाना स्तर की ?

सच्चाई यह है कि जब तक संवेदनशील समन्वय और राजनीतिक/प्रशासनिक इच्छाशक्ति नहीं होगी, तब तक “सार्थक प्रयास” की बातें सिर्फ़ भाषणों और निरीक्षणों तक ही सीमित रहेंगी।

कौधते सवाल 

तेज रफ्तार के ज़िम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी ?

स्पीड गवर्नर की जांच के लिए क्या विशेष दल बनेगा ?

हादसों की वजह बनने वालों पर केस दर्ज होंगे या नहीं ?

यदि सड़क दुर्घटनाओं में सचमुच कमी लानी है, तो “सार्थक प्रयास” केवल निरीक्षण रिपोर्ट में नहीं, जमीनी कार्रवाई और ठोस नीतियों में दिखना चाहिए।

अब देखना यह है कि क्या जिला प्रशासन इन सवालों से मुँह मोड़ेगा या फिर इनका उत्तर कार्यवाही के रूप में देगा !

 क्या है स्पीड गर्वनर : 

स्पीड गवर्नर वाहन की गति को एक तय सीमा से ऊपर नहीं जाने देता — यह विशेष रूप से सड़क सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी उपकरण है।

स्पीड गवर्नर कैसे काम करता है?

स्पीड गवर्नर वाहन के इंजन या एक्सेलेरेशन सिस्टम से जुड़ा होता है। जब वाहन की गति एक निर्धारित सीमा तक पहुँच जाती है, तो गवर्नर उस गति से आगे एक्सेलेरेशन को रोक देता है।

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