चाम्पा सब शांति-शांति है — सट्टा गायब नहीं, बस ऊंची पहुंच में समा गया है!
चाम्पा शहर से इस बार एक ‘शांतिपूर्ण विस्फोट’ जैसी खबर सामने आई है — आईपीएल 2025 के पूरे सीजन में शहर में सट्टा गतिविधियों से जुड़ा एक भी प्रकरण औपचारिक रूप से दर्ज नहीं हुआ है।जी हां, वही चाम्पा जो हर साल इस मौसम में “सट्टा नगरी” का दर्जा पाता था, इस बार एकदम शांत, सौम्य और शुद्ध प्रतीत हो रहा है।
स्थानीय नागरिक ताना कसते हुए कह रहे हैं:
“चाम्पा में सब शांति-शांति है, छुट-पुट चाकूबाज़ी, गैंगरेप, और चोरी को छोड़ दें तो — बाकी तो स्वर्गीय वातावरण है। और अब तो ये हाल है कि इतने बड़े आईपीएल में एक भी सट्टा मामला नहीं बना!”
परंतु जो दिखता है, चाम्पा में वह ही सत्य हो — ये मान लेना खुद को छलने जैसा है।
सतह पर शांति, गहराई में गड़बड़:
सूत्रों के अनुसार, व्यवस्था से जुड़े विशेष सहयोगी वर्ग के बीच इस साल कुछ ‘समझदारीपूर्ण तालमेल’ बना है। खबरें हैं कि इस बार सट्टा “खुले मैदान से उठकर बैठकखानों” में जा पहुँचा है, जहाँ न चीख़ होती है, न छापा।
चर्चा यह भी है कि कार्य वाहक तंत्र ने इस बार ‘सक्रिय कार्रवाई’ से अधिक मूक सहभागिता की नीति अपनाई है।
इससे जुड़े लोग बताते है की
“अब दौड़भाग कम हो गई है, क्योंकि अब सब ‘मैनेज’ हो चुका है। जो पहले पकड़ने आते थे, अब नंबर सेव करवा लेते हैं।”
जनता में भी है संशय:
गली-मोहल्लों में लोग कह रहे हैं कि जब से सट्टा ‘सामान्य अपराध’ की श्रेणी से निकलकर ‘प्रोटोकॉल अपराध’ में गया है, तब से किसी को कुछ दिखता नहीं, सुनाई देता नहीं — लेकिन सब समझ आता है।
एक युवा ने व्यंग्य में कहा, “अब बुकी लोगों की कॉलर टी-शर्ट होती है और कार्य वाहक तंत्र के लोग दर्शक दीर्घा में बैठे होते हैं।”
ऊपर तक’ की चुप्पी:
प्रशासनिक गलियारों में इस मामले पर सन्नाटा है। “शायद वो अपने पास इस संबंध में कोई पुख़्ता जानकारी नहीं रखना चाहते।”
और पुख़्ता जानकारी रखे भी क्यों — जब सूचनाएं आने से पहले ही ‘सैटेलाइट सहयोग’ से फ्लाइट मोड में भेज दी जाती हैं।
चाम्पा इस समय एक अनूठे युग में प्रवेश कर चुका है —
जहाँ सट्टा बंद नहीं हुआ,
बल्कि “पारंपरिक अपराध” से “सुसंस्कृत आयोजन” में रूपांतरित हो गया है।
अब सब शांति-शांति है…
क्योंकि शोर वही मचाता है जिसे अंदर जाने का पास न मिला हो।
“सट्टा अगर दिख जाए, तो गैरकानूनी है।
न दिखे — तो व्यवस्था का हिस्सा है!”