सारंगढ़-बिलाईगढ़। कटंगपाली क्षेत्र में डोलोमाइट की सप्लाई को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, गुडेली से लाए गए तथाकथित ‘चाइना माल’ को कुछ क्रेशर संचालक डोलोमाइट में मिलाकर ग्राहकों को ठगने का काम कर रहे हैं। यह प्रक्रिया न सिर्फ व्यापारिक नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि ग्राहकों के आर्थिक नुकसान का कारण भी बन रही है।
कैसे होता है मिलावट का खेल?
जानकारी के अनुसार, डोलोमाइट के परिवहन वाले बड़ी और भारी वाहनों में दो-तीन बेकेट चाइना माल मिलाया जा रहा है। यह मिलावट इतनी चतुराई से की जाती है कि ग्राहक को माल देखने पर धोखा हो जाता है। चूंकि डोलोमाइट की मांग निर्माण कार्यों में अधिक होती है, इसलिए इस तरह की मिलावट से गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है।
क्रेशर प्लांटों में हो रहा चाइना माल का भंडारण
कुछ क्रेशर प्लांटों में लाइम स्टोन जैसे चाइना माल का भी बड़े स्तर पर भंडारण हो रहा है। इससे संदेह गहराता जा रहा है कि यह एक सुनियोजित व्यापारिक रणनीति है, जिससे अधिक मुनाफा कमाने की कोशिश की जा रही है।
विभाग की चुप्पी बनी चिंता का विषय
सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस पूरे प्रकरण पर संबंधित विभाग की गंभीरता नदारद है। स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और ग्राहकों के हितों की रक्षा हो।
क्या कहते हैं जानकार?
खनिज क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि अगर डोलोमाइट में अन्य पत्थरों की मिलावट की जा रही है, तो यह नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। यह न सिर्फ व्यवसायिक अनियमितता है, बल्कि गुणवत्ता मानकों के लिहाज से भी खतरनाक हो सकता है।
बहरहाल गुडेली और कटंगपाली क्षेत्र में डोलोमाइट सप्लाई के नाम पर चल रही इस कथित अनियमितता की पारदर्शी जांच जरूरी है। इससे न केवल उपभोक्ताओं के विश्वास की रक्षा होगी, बल्कि क्षेत्रीय व्यापार में भी संतुलन बना रहेगा।