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धान खरीदी में बड़ा घोटाला: सारंगढ़-बिलाईगढ़ ने रायगढ़ को भी पीछे छोड़ा, 80 हजार क्विंटल बोगस खरीदी!

धान खरीदी में गड़बड़ियों का खेल इस बार और बड़ा हो गया है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले ने इस मामले में रायगढ़ को भी पीछे छोड़ दिया है। यहां करीब 50 केंद्रों में 1.40 लाख क्विंटल धान बाकी पड़ा है, जिसमें से 80 हजार क्विंटल धान की बोगस खरीदी हुई है। हालात इतने खराब हैं कि केंद्रों में धान मौजूद नहीं है, लेकिन ऑनलाइन रिकॉर्ड में स्टॉक दिखाया जा रहा है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बार भी पुरानी दागी समितियों में ही यह खेल हुआ है। धान उठाव के मामले में सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला रायगढ़ से पिछड़ गया है, जिसका कारण यही बोगस खरीदी मानी जा रही है। कई जगहों पर पुराना धान रिसायकल किया जा रहा है, जिससे मिलर्स खराब धान की शिकायत कर रहे हैं। वहीं, कुछ केंद्रों में धान का एक दाना भी नहीं है, लेकिन डीओ काटे जा चुके हैं, जिससे मिलर्स पर उठाव का दबाव डाला जा रहा है।

जिन केंद्रों पर हर साल होता है घोटाला, वहीं इस बार भी खेला!

धान खरीदी में घोटाला उन्हीं केंद्रों में हुआ है, जहां पिछले कई सालों से गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। इस बार भी सारंगढ़ और बरमकेला के केंद्रों में सबसे ज्यादा अनियमितताएं पाई गई हैं। जिन स्थानों पर धान खरीदी में भारी गड़बड़ी हुई है, उनमें कपरतुंगा, भेडवन, जशपुर, करनपाली, कनकबीरा, बाहराबहाल, नौरंगपुर, कोसीर, लोधिया, साल्हेओना, लेंध्रा, बड़े नवापारा, भडि़सार, कंठीपाली, बरदुला, सहसपानी, सालर, कुम्हारी, खर्री बड़े, रक्सा, गाताडीह, बुदेली, अमझर, सरसींवा, सहसपुर, कोसीर छोटे, हरदी, उलखर और गोबरसिंहा शामिल हैं।

इन केंद्रों पर हर साल घोटाले की खबरें आती हैं, लेकिन इस बार गड़बड़ी का स्तर और भी बड़ा हो गया है। धान खरीदी के ऑनलाइन रिकॉर्ड में भारी अंतर है, जो सीधे तौर पर भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

धान नहीं, लेकिन उठाव का दबाव!

सबसे गंभीर मामला कुम्हारी और हरदी केंद्रों का सामने आया है, जहां धान का स्टॉक पूरी तरह शून्य है, लेकिन उठाव के लिए डीओ काट दिए गए हैं। यही कारण है कि बाहर से धान लाकर इन केंद्रों में डंप किया जा रहा है, ताकि रिकॉर्ड को सही दिखाया जा सके।

जांच में पहले ही रिपोर्ट दी जा चुकी थी कि इन केंद्रों में धान नहीं है, लेकिन अब तक जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि इस बार समिति प्रबंधकों से सीधे डील की जा रही है, जिससे धान की बोगस खरीदी के मामलों को दबाया जा रहा है। प्रबंधकों ने करोड़ों का खेल कर लिया और अब सबूत मिटाने की कोशिशें जारी हैं।

सरकार और प्रशासन की चुप्पी, किसानों के साथ धोखा!

इस पूरे मामले पर सरकार और प्रशासन की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। जिन किसानों का धान सही तरीके से खरीदा जाना चाहिए था, वे आज भी परेशान हैं, लेकिन बिचौलियों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी खरीदी जारी है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या प्रशासन इस बड़े घोटाले पर कोई कड़ी कार्रवाई करेगा, या फिर इस बार भी यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। सवाल यह भी है कि जो धान दिखाया जा रहा है, वह आखिर गया कहां?

क्या इस घोटाले के जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई होगी, या फिर हर साल की तरह यह घोटाला भी कागजों तक ही सीमित रह जाएगा?

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