डमरुआ न्यूज़ /रायगढ़। हत्या के प्रयास के एक गंभीर मामले में घरघोड़ा न्यायालय ने अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया है। पुलिस ने आरोपी सुखदेव सिदार के खिलाफ अपने ही साथी पीतांबर साहनी की हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था, जिसमें अभियुक्त की ओर से महिला अधिवक्ता कल्याणी शर्मा ने पैरवी की। ट्रायल के दौरान अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट में यह साबित कर दिया कि पुलिस द्वारा बनाई गई पूरी कहानी झूठी थी और अभियुक्त को झूठे आरोप में फंसाया गया था।
क्या था मामला?
29 जुलाई 2023 को तमनार पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें कहा गया था कि पीतांबर साहनी और सुखदेव सिदार बासनपाली सोसाइटी से चावल लेने गए थे और दोपहर में घर लौटे। कुछ देर बाद सुखदेव ने पीतांबर से उसकी साइकिल पंचर ठीक कराने को कहा, जिस पर विवाद हो गया। पुलिस के अनुसार, इस दौरान सुखदेव घर से टांगी लाकर पीतांबर पर हमला कर दिया, जिससे उसकी अंतड़ी बाहर निकल आई। पीतांबर की पत्नी ललिता साहनी की शिकायत पर पुलिस ने सुखदेव के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया।
अदालत में हुआ खुलासा
मामले की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कल्याणी शर्मा ने बचाव पक्ष की ओर से गवाहों से जिरह की। इस दौरान पीतांबर और उसकी पत्नी, जो खुद शिकायतकर्ता थी, ने अदालत में स्वीकार किया कि अभियुक्त ने टांगी से वार नहीं किया था, बल्कि पीतांबर शराब के नशे में खुद टांगी पर गिर गया था, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं।
अदालत का फैसला
गवाहों के बयान और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर घरघोड़ा अपर सत्र न्यायालय ने अभियुक्त सुखदेव सिदार को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया। इस फैसले से न्याय की जीत हुई और पुलिस की झूठी विवेचना का पर्दाफाश हुआ।
अधिवक्ता कल्याणी शर्मा की प्रभावशाली दलीलें बनीं बचाव की आधारशिला
इस मामले में बचाव पक्ष की अधिवक्ता कल्याणी शर्मा ने अपने मजबूत तर्कों और प्रभावी जिरह से यह साबित कर दिया कि पुलिस की विवेचना दोषपूर्ण थी और अभियुक्त को झूठे मामले में फंसाया गया था। उनके तर्कों के आगे अभियोजन पक्ष अपनी दलीलों को साबित नहीं कर सका।
इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि सत्य की जीत हमेशा होती है, भले ही पुलिस की रिपोर्ट कुछ और ही कहे।
