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अवैध खनन पे कलेक्टर सख्त नहीं, सरसार में खनिज का दोहन..पढ़े पूरी रिपोर्ट

Illegal mining sarangarh।।जिले का गुडेली खनिज माफियाओं का हॉट स्पॉट जोन है यहां जिला प्रशासन की नहीं बल्कि माफियाओं का कानून चलता है। सरसरा हो या बहरा इन इलाकों में धड़ल्ले से अवैध खनन जारी है।

गौरतलब हो कि सरसरा और बहरा क्षेत्र में अवैध खनन (Illegal mining) आज से नहीं पहले से किया जाता रहा है लेकिन प्रशासन की सख्ती नहीं होने के कारण हजारों लाखों टन पत्थर (Limestone) यहां से निकाल लिया गया और किसी ने इस पर रोक लगाने की जहमत नहीं उठाई.

रात में ब्लास्टिंग

पता चला है कि सरसरा में अवैध खनन करने का मुख्य जरिया ब्लास्टिंग है जो रात के समय में किया जाता है चर्चा है कि ब्लास्टिंग के बाद निकाले गए पत्थर जैसे ही क्रेशरों में खपा दी जाती है फिर से ब्लास्टिंग कर हजारों टन पत्थर निकाल लिया जाता है ऐसे करते करते पूरे सीजन में कई लाख टन पत्थर की निकासी इस अवैध खदान से कर ली जाती है जिसमें खनिज माफिया को लाखों करोड़ो का मुनाफा होता तो है लेकिन शासन के हाथ एक आने नहीं लगता ।

अवैध को वैध बनाने की माफिया ट्रिक

1. फर्जी बिल और रसीदें बनाना

अवैध खदानों से निकाले गए पत्थरों को वैध खदानों से खरीदे गए पत्थरों के साथ मिलाकर बिलिंग की जाती है।

फर्जी चालान और रसीदें तैयार कर सरकारी कागजों में दिखाया जाता है कि पत्थर किसी अधिकृत खदान से खरीदा गया है।


2. किसी वैध खदान के मालिक से सांठगांठ

कई बार वैध खदान मालिकों से मिलीभगत करके उनके नाम पर चालान तैयार किया जाता है।

खदान से निकाले गए पत्थरों की मात्रा में हेरफेर कर अधिक मात्रा में पत्थर दिखाए जाते हैं।


3. ट्रांसपोर्टेशन में हेरफेर

परिवहन के दौरान अधिकारियों को गुमराह करने के लिए चालान और दस्तावेजों में हेरफेर किया जाता है।



4. रिश्वत देकर कागज तैयार करना

कुछ भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत देकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं।

कई बार पुराने खनन पट्टों का उपयोग कर उन्हें चालान के रूप में दिखाया जाता है।


5. क्रशर प्लांट और निर्माण कंपनियों से सेटिंग

अवैध पत्थरों को सीधे क्रशर प्लांट या निर्माण कंपनियों को बेचा जाता है, जहाँ उन्हें वैध माल में मिलाकर उपयोग किया जाता है।

बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स में इन पत्थरों का उपयोग किया जाता है, जिससे उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता।


6. किसी और क्षेत्र के खनन परमिट का दुरुपयोग

किसी दूसरी खदान के खनन परमिट का इस्तेमाल कर पत्थरों को वैध बना दिया जाता है।

उदाहरण के लिए, एक खदान में उतना खनन नहीं हुआ जितना कागजों में दिखाया गया, लेकिन उस परमिट के नाम पर अवैध खनन से निकला माल बेच दिया गया।


7. अस्थायी परमिट या जुर्माना देकर वैध बनाना

कई बार जब प्रशासन जांच करता है, तो खदान मालिक सरकार को जुर्माना भरकर बच जाते हैं और फिर वही अवैध खदान कुछ समय बाद फिर चालू हो जाती है।

सरकार के अस्थायी खनन परमिट के जरिए कई बार पहले ही पत्थर खोद लिए जाते हैं और बाद में परमिट लेकर उसे वैध दिखा दिया जाता है।


यह सभी तरीके पूरी तरह गैरकानूनी हैं और यदि कोई पकड़ा जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन भ्रष्टाचार और सिस्टम की खामियों की वजह से यह खेल चलता रहता है।

सरसरा और गुडेली में अवैध खनन पर प्रशासन की चुप्पी क्यों?

सरसरा क्षेत्र और गुडेली इलाके में अवैध खनन जोरों पर चल रहा है, जिसकी जानकारी मीडिया के माध्यम से लगातार सामने आ रही है। इसके बावजूद कलेक्टर और संबंधित विभाग इस पर सख्ती क्यों नहीं दिखा रहे, यह बड़ा सवाल बना हुआ है। प्रशासन की यह निष्क्रियता कहीं न कहीं अवैध खनन करने वालों को बढ़ावा दे रही है।

मीडिया की रिपोर्टिंग के बाद भी कार्रवाई नहीं

स्थानीय मीडिया बार-बार यह उजागर कर रहा है कि इन इलाकों में बिना अनुमति के पत्थर और अन्य खनिजों की खुदाई की जा रही है। ट्रैक्टर और हाइवा के जरिए दिन-रात खनिज संपदा का दोहन हो रहा है। लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

प्रशासन की निष्क्रियता के पीछे क्या कारण?

1. राजनीतिक दबाव: कई बार अवैध खनन करने वाले रसूखदार लोग होते हैं, जिनका राजनीतिक संरक्षण होता है। ऐसे में कलेक्टर या खनन विभाग के अधिकारी चाहकर भी उन पर कार्रवाई नहीं कर पाते।


2. भ्रष्टाचार: अवैध खनन से करोड़ों का खेल चलता है, जिसमें कुछ अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है। ऐसे में कार्रवाई को नजरअंदाज किया जाता है।


3. जांच और कार्रवाई में देरी: जब भी मीडिया में खबर आती है, प्रशासन पहले जांच का हवाला देता है। लेकिन यह जांच महीनों तक चलती रहती है और इस दौरान अवैध खनन बदस्तूर जारी रहता है।


4. स्थानीय स्तर पर मिलीभगत: कुछ स्थानीय अधिकारी अवैध खनन करने वालों से सांठगांठ कर लेते हैं और कार्रवाई की फाइल को दबा दिया जाता है।

प्रशासन की सख्ती जरूरी

अगर कलेक्टर और संबंधित विभाग सच में इस अवैध कारोबार को रोकना चाहते हैं, तो उन्हें तुरंत कुछ कड़े कदम उठाने होंगे:

छापेमारी और वाहन जब्ती: खनिज विभाग को पुलिस के साथ मिलकर नियमित छापेमारी करनी चाहिए और अवैध खनन में लगे वाहनों को जब्त करना चाहिए।

सख्त कानूनी कार्रवाई: दोषियों पर कड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाए और उन पर भारी जुर्माना लगाया जाए।

स्थानीय लोगों से फीडबैक लेना: ग्रामीणों को विश्वास में लेकर उनकी शिकायतों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई: अगर कोई अधिकारी मिलीभगत करता पाया जाता है, तो उसे तुरंत निलंबित किया जाए।

सरसरा और गुडेली के हालात को देखते हुए यह जरूरी है कि प्रशासन केवल दिखावे के लिए बयान न दे, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करे। यदि जल्द ही कदम नहीं उठाए गए, तो यह अवैध खनन आने वाले समय में और बड़ा रूप ले सकता है।

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