सारंगढ़-बिलाईगढ़ में धान घोटाले का मामला सामने आया है, जहां उठाव के बाद मिलिंग के दौरान खराब गुणवत्ता वाला चावल निकल रहा है।
Sarangarh News।।धान घोटाले को रायगढ़ और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिलों की समितियों में पूरी तरह से रोकने में अब तक असफलता देखी गई है। भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट भी अभी तक कलेक्टर तक नहीं पहुंच पाई है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ में स्थिति और अधिक गंभीर है, जहां 2023-24 के पुराने धान और रबी सीजन के धान को रिसायक्लिंग कर नए रूप में प्रस्तुत किया गया। साथ ही, कई बिचौलियों ने मिलों में जमा धान खरीदकर समितियों में जमा करा दिया, जिसके बाद मिलिंग के दौरान चावल की गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई।
सरकार ने कलेक्टरों को इस तरह के मामलों पर सख्ती बरतने और बोगस एंट्री व पुराने धान की रिसायक्लिंग रोकने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। हालांकि रायगढ़ में कुछ कार्रवाई हुई है, लेकिन सारंगढ़-बिलाईगढ़ में गड़बड़ियों ने अपनी सीमाओं को पार कर लिया है, जहां बड़े पैमाने पर बोगस एंट्री और रिसायक्लिंग की घटनाएं सामने आई हैं।धान खरीदी और भंडारण की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। राइस मिलर्स के पास पुराने वर्ष 23-24 और रबी सीजन का धान बड़ी मात्रा में संग्रहीत था, जिसे 20-22 रुपए प्रति किलो की दर पर खरीदकर समितियों को बेच दिया गया।
यह काम कोचियों और मिलर्स की सांठगांठ से संभव हुआ, जहां समिति प्रबंधकों और नोडल अधिकारियों ने भी मिलीभगत के कारण कोई आपत्ति नहीं जताई। मार्जिन में सबका हिस्सा तय था, और इस गोरखधंधे को तब तक छिपाकर रखा गया जब तक खरीदी जारी रही। अफसरों के संरक्षण में यह अनैतिक कार्य निर्बाध रूप से चलता रहा। अब जब नए धान की मिलिंग हो रही है, तो चावल में बड़े पैमाने पर गुणवत्ता की गिरावट देखी गई है। पुराना धान उपयोग करने के कारण चावल का रंग बदल चुका है और ब्रोकन चावल की मात्रा भी अत्यधिक बढ़ गई है।
राइस मिलर धान की गुणवत्ता देखकर समझ रहे हैं कि यह पुराना है, क्योंकि यह 2024 रबी सीजन का है, जिसमें पाखड़ चावल निकल रहा है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में 2023-24 में 83251 किसानों से 46.91 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी, जबकि इस बार 84559 किसानों से 46.56 लाख क्विंटल धान खरीदा गया। सारंगढ़ क्षेत्र में 27135 किसानों से केवल 290 हेक्टेयर भूमि सरेंडर कराई गई है, यानी पुराने धान को रिक्त रकबे पर इस्तेमाल किया गया है।
अब जब इस मामले की परतें खुलने लगीं, तो कई अधिकारी सतर्क हो गए हैं। मिलर्स भी खराब धान की वजह से नुकसान सहने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि पहले ही उनका काफी नुकसान हो चुका है। अब पाखड़ चावल को भी समायोजित करने की कोशिशें हो रही हैं। नागरिक आपूर्ति निगम के डीएम और क्यूआई से तालमेल बैठाकर पाखड़ चावल जमा करवाया जा रहा है।
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