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गुड़ेली में कानून का नहीं, माफियाओं का राज – प्रशासन कब जागेगा?

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के गुड़ेली में चुनापत्थर(Limestone )के अवैध खनन का खेल खुलेआम जारी है। बिना रॉयल्टी चुकाए खनिज माफिया हाइवा वाहनों  में भरकर पत्थर ले जा रहे हैं और उसे गुडेली ही नहीं टीमरलगा के विभिन्न क्रेशरों में खपाई जा रही है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि प्रशासन की तरफ से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। सवाल यह उठता है कि आखिर प्रशासन की इस चुप्पी के पीछे क्या कारण है? क्या खनिज माफियाओं के रसूख के आगे सरकारी तंत्र भी लाचार हो गया है?

खनिज माफियाओं पर प्रशासन का कोई खौफ नहीं!

खनिज माफिया इतने बेखौफ हो गए हैं कि वे खुलेआम भारी वाहनों (हाइवा) में पत्थर भरकर ले जा रहे हैं, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं। ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है, बल्कि उनकी नज़र के सामने ही यह सब हो रहा है। गुड़ेली और टीमरलगा के कई इलाकों में अवैध खनन के कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, लेकिन अधिकारियों की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।

रॉयल्टी चोरी से सरकार को करोड़ों का नुकसान

खनिज माफियाओं की साजिश इतनी गहरी है कि वे एक ही रॉयल्टी पर्ची का बार-बार इस्तेमाल कर रहे हैं। यानी एक बार टैक्स चुकाने के बाद उसी पर्ची पर कई गाड़ियों को बिना अतिरिक्त भुगतान के निकाल दिया जाता है। इससे सरकार को लाखों-करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है, लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा।

राजनीतिक संरक्षण के चलते फल-फूल रहा अवैध खनन

इस गोरखधंधे में राजनीतिक संरक्षण भी एक बड़ा कारण है। खनिज माफियाओं के पास इतनी पहुंच है कि स्थानीय प्रशासन उन पर हाथ डालने से कतरा रहा है। यही वजह है कि इलाके में अवैध खनन और परिवहन का खेल धड़ल्ले से जारी है। क्या यह प्रशासन की मिलीभगत है, या फिर राजनीतिक दबाव में उनकी कार्रवाई ठप पड़ी है? यह सवाल अब जनता के बीच चर्चा का विषय बन चुका है।

जांच हो तो उजागर होंगे बड़े घोटाले!

अगर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाए और पूरी ईमानदारी से गुड़ेली और आसपास के क्षेत्रों में निकलने वाले हर खनिज वाहन की जांच करे, तो अवैध खनन और रॉयल्टी चोरी पर बड़ी हद तक रोक लगाई जा सकती है। लेकिन अफसोस, अभी तक इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है।

प्रशासन कब जागेगा?

अवैध खनन से न केवल सरकारी राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण पर भी इसका गंभीर असर पड़ रहा है। अवैध रूप से खुदाई के कारण कई इलाकों में जमीन की सतह नीचे जा रही है, जिससे जलस्तर भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वह तत्काल इस मामले को गंभीरता से ले और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।

जनता को आगे आना होगा!

अगर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है, तो आम जनता को अपनी आवाज़ उठानी होगी। अवैध खनन के इस काले कारोबार को रोकने के लिए जागरूकता और दबाव दोनों की जरूरत है। स्थानीय लोगों को चाहिए कि वे इस मुद्दे को अधिकारियों तक पहुंचाएं और कार्रवाई की मांग करें।

मीडिया के खबर और जानकारी का कोई प्रभाव नहीं

इस बात को दुर्भाग्य कहे या विडंबना। मीडिया को Fourth piller यानी के देश का चौथा स्तंभ माना और कहा जाता है यहीं नहीं मीडिया को समाज का आईना भी कहा जाता है लेकिन वर्तमान में उसी विभिन्न मीडिया संस्थानों के द्वारा जब भी गुडेली और टीमरलगा में खनिज के दोहन से लेकर अवैध परिवहन ,अवैध खनन से जुड़ी खबरें प्रकाशित और प्रसारित किए जाने के बाद भी  प्रशासन और  शासन की कुंभ करणीय निद्रा टूट नहीं रही ।



अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस रिपोर्ट के बाद कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर खनिज माफियाओं के आगे घुटने टेक देगा!

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