
डमरुआ न्युज/रायगढ़– रायगढ़ विधानसभा में कुछ स्थानों से चुनाव के बहिष्कार करने की सुचनाएं प्रापत हो रही है। सवाल यह उठता है कि क्या बीते पांच साल में विधायक और सरकार ने लोगों की समस्याएं न सुनने और सुनकर भी बहरेपन का केवल नाटक किया है, ष्यदि ऐसा है तो निष्क्रिय जनप्रतिनिधि को वोट ही क्यों दिया जाये और यदि ऐसा नहीं है वास्तव मे काम किया तो ये विरोध क्यो हो रहा है ।
यह एक तस्वीर रायगढ़ के गढ़उमरिया से आयी है जिसमें गांव के कुछ लोग खेत की एक मेड़ पर बैठकर सड़क नही तो वोट नही का नारा लगा रहे है। उन्होंने यहा पर एक पोस्टर भी लगाया हुआ है जिसमे चुनाव बहिष्कार लिखकर बरसात के दिनों मे गांव तक आने वाली खस्ता हाल दलदल जैसे दिखने वाली सड़क की फोटो भी लगायी गयी है। यह तस्वीर हैरान करने वाली है क्योंकि यह शहर का वार्ड नं. 20 है जहां विगत पांच साल में कोई भी सत्ता धारी इस सड़क की सुध नहीं ले सका है लेकिन बरसात खत्म होते ही चुनाव का मौसम शुरू हो गया है इसलिए प्रत्याषियों की गाड़ियां यहां फर्राटे भरना चाहती है। अपनी दुर्दषा देख क्षेत्रवासी जहां आसू बहा रहे हैं वही जनप्रतिनिधियों के लिए यह एक छोटी सी बात हो सकती है।
इस प्रकार की स्थिति रायगढ़ विधानसभा के कुछ अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी बनी हुई है। यह बात समझ से बाहर है कि कोई विकास नहीं, विकास का कोई वादा भी नहीं सिर्फ दारू और मुर्गा बांटकर इस चुनाव में भी लोग सत्ता पर काबिज होना चाहते है।
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बिके हुए मतदाताओं का नहीं है कोई हक
सभी चुनावों मे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रत्याषी अनाप-सनाप खर्च करते हुए दारू,मुर्गा और नकद रकम से वोट खरीदते हैं और यदि ऐसे मतदाताओं का मत खरीद लिया जाता है तो उनका कोई हक नहीं बनता है कि वो अपने द्वारा चुने गये विधायक अथवा अन्य किसी जनप्रतिनिधि को उनका काम न होने की स्थिति में कुछ भी भला बुरा कह सकें। हालांकि गढ़उमरिया क्षेत्र के लोग काफी भोले भाले है इसलिए पिछले विधानसभी चुनाव मे ये ठगे गये और जिन्हे उन्होंने वोट दिया था वो बेवफा निकल गये।