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उपनयन संस्कार 16 संस्कारों में श्रेष्ठ है : रवि पांडे

 

एस डी पैलेस जांजगीर में ब्राह्मण नारी चेतना मंच जांजगीर के तत्वाधान में आयोजित उपनयन संस्कार कार्यक्रम में शामिल हो नवबटुको को आशीर्वाद देते

 

हुए इंजीनियर पांडे ने कहा कि ,भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सतयुग एवं त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था। इसलिए यह दिन का विशेष महत्व है। इसी प्रकार हिदू धर्मों के 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है उपनयन संस्कार। इसे यज्ञोपवित या जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है। उप यानी पानस और नयन यानी ले जाना अर्थात् गुरु के पास ले जाने का अर्थ है उपनयन संस्कार। प्राचीन काल में इसकी बहुत ज्यादा मान्यता थी। वर्तमान की बात करें तो आज भी यह परंपरा कायम है। लोग आज भी जनेऊ संस्कार करते हैं। जनेऊ में तीन सूत्र होते हैं। ये तीन सूत्र तीन देवता के प्रतीक हैं यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश। यह संस्कार करने से शिशु को बल, ऊर्जा और तेज की प्राप्ति होती है। मैं आप सभी से आशा करता हूं कि आप समाज, देश हित में सदैव कार्य करेगें ।

  1. इस कार्यक्रम में 31 बटुक का उपनयन संस्कार हो रहा है। जिसमे मंच के सदस्यों की सक्रियता सरहनीय हैं।

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