सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर पैदल यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर कहा’………..’ ,पढ़ें पूरी खबर.

डमरुआ न्युज /  सुप्रीम कोर्ट ने हाईवे पर पैदल यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि लोगों को राजमार्गों पर घूमना नहीं चाहिए।

याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि कोई सकारात्मक निर्देश नहीं दिया जा सकता क्योंकि याचिका में दावा की गई राहत नीतिगत निर्णयों का मामला होगा।

इसने कहा था कि याचिका में उठाई गई शिकायतों के लिए, याचिकाकर्ताओं के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से संपर्क करना का रास्ता खुला है।

यह मामला न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा हाईवे पर पैदल चलने वालों की सुरक्षा और संरक्षण से संबंधित है।

पीठ ने पूछा, “पैदल यात्री हाईवे पर कैसे आते हैं?” साथ ही कोर्ट ने कहा कि अनुशासन होना चाहिए।

आंकड़ों का हवाला देते हुए वकील ने कहा कि देश में पैदल यात्रियों के साथ सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है।

पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाएं तब होंगी जब पैदल यात्री वहां मौजूद पाए जाएंगे जहां उन्हें नहीं होना चाहिए।

पीठ ने कहा, “हाईवे का कॉन्सेप्ट यह है कि इसे अलग-अलग किया जाना चाहिए। लोगों को हाईवे पर इधर-उधर नहीं घूमना चाहिए। यह अनुशासन आवश्यक है।”

पीठ ने पूछा, “कल, आप कहेंगे कि उन्हें हाईवे पर चलने या टहलने की इजाजत दी जानी चाहिए और कारें रुकनी चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है?” .

जब वकील ने फिर से आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि ऐसी दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या बढ़ गई है, तो पीठ ने कहा, “ऐसा इसलिए है क्योंकि हाईवे बढ़ गए हैं… हमारा अनुशासन नहीं बढ़ा है।”

इसमें कहा गया कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को संबंधित मंत्रालय से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी है।

पीठ ने कहा, ”आप कभी भी हाईवे पर विविध तरह का ट्रैफिक नहीं रख सकते, जिसमें हाईवे पर पैदल चलने वाले लोग भी शामिल हैं। आपको जो मिला है, उससे आप खुश रहिए।” उन्होंने कहा, ”अगर लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं, तो अदालत कैसे कह सकती है कि वे नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं।?”

इसमें कहा गया है कि दुनिया में कहीं भी लोग हाईवे पर घूमते नहीं पाए जाते हैं।

पीठ ने कहा, “यह पूरी तरह से तर्कहीन याचिका है। इसे जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए था।” साथ ही कहा, “आपको अभी भी हाईकोर्ट से कुछ मिला है।”

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