
डमरुआ न्युज/ नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सात और नौ न्यायाधीशों की पीठों में वर्षों से लंबित मामलों की सुनवाई का कार्यक्रम तय करने का साझा आदेश जारी करेगा। कोर्ट ने कहा कि वह सभी मामलों में एक साथ आदेश जारी करेगा जिसमें विभिन्न मामलों पर सुनवाई की तारीखें और कार्यक्रम तय होंगे।
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कुछ मामले बीस साल पुराने
एससी एसटी आरक्षण के वर्गीकरण, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा, विधानसभाओं के विशेषाधिकार, विधानसभा स्पीकर के अयोग्यता याचिकाएं निपटाने के अधिकार जैसे कई मामले सात और नौ न्यायाधीशों की पीठ में वर्षों से हैं लंबित। कुछ मामले बीस साल पुराने भी हैं।
गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ सात और नौ न्यायाधीशों की पीठो में लंबित महत्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक मामलों की सुनवाई की रूपरेखा तय करने और सुनवाई का कार्यक्रम तय करने के लिए बैठी थी।
कोर्ट ने कहा कि सात और नौ न्यायाधीशों की पीठ में लंबित मामलों में याचिकाओं दस्तावेजों और लिखित दलीलों का संकलन तैयार किया जाए। पीठ ने सभी पक्षों से नोडल वकीलों का नाम भी बताने को कहा है जो यह संकलन तैयार करने का काम करेंगे।
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एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा
सुनवाई के दौरान एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे का मामला जब आया तो वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा इस मामले में केंद्र सरकार ने पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे का समर्थन किया था लेकिन बाद में 2016 में केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर अपना नजरिया बदल दिया। इसे भी देखने की जरूरत है। सालिसिटर जनरल ने कहा कि जब मामला सुनवाई पर आएगा तब इसे देखा जाएगा।
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सात और नौ जजों के सामने लंबित अन्य मामले
इसके अलावा पंजाब सरकार बनाम दविन्दर सिंह संधू का मामला है जिसमें एससी एसटी आरक्षण में वर्गीकरण का मुद्दा शामिल है। यह मामला भी सात न्यायाधीशों को सुनना है। रोजर मैथ्यू बनाम साउथ इंडियन बैंक मामले में वित्त विधेयक का मुद्दा शामिल है।
सुभाष देसाई बनाम महाराष्ट्र के राज्यपाल मामले में पांच जजों की पीठ के नबाम रेबिया के फैसले पर पुनर्विचार का मुद्दा शामिल है। इसमें तय होना है कि स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित होने के दौरान स्पीकर सदस्यों की अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है कि नहीं। नबाम रेबिया का फैसला कहता है कि नहीं कर सकता।
एन रवी बनाम स्पीकार मामले में विधानसभा के विशेषाधिकार का मुद्दा शामिल है। नौ जजों की पीठ में सेन्थेटिक अल्कोहल को रेगुलेट करने के राज्य सरकार के अधिकार का मुद्दा और दूसरा मामला सेल्स टैक्स के मुद्दे से संबंधित है। खनन भूमि पर टैक्स और रायल्टी का मुद्दा भी नौ जजों की पीठ के सामने लंबित है यह मामला मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम सेल है।
चीफ जस्टिस ने कहा यह मामला 20 साल से लंबित है। यह किसी के लिए अच्छी बात नहीं है। वे इस मामले को प्राथमिकता देंगे। नौ जजों की पीठ में एक मामला इंड्सट्री की परिभाषा से जुड़ा लंबित हैं जिसमें दो दशक से ज्यादा पुराने हो चुके पूर्व फैसले की व्याख्या का मुद्दा शामिल है।