
जिन्दल प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट से आशुतोष बहिदार की गिरफ्तारी पर लगी रोक
डमरूआ न्यूज़ /रायगढ़.
राकेश जिंदल और जिंदल कंपनी के मैनेजर दिनेश भार्गव के विरुद्ध शिकायत करने वाले तमनार निवासी – आशुतोष बहिदार के विरुद्ध पुलिस थाना तमनार में तत्कालीन थानेदार गंगा प्रसाद बंजारे ने जिंदल कंपनी की एक महिला कर्मचारी रूकमणी पटनायक की रिपोर्ट पर से अपराध क्रमांक 175/2022 धारा 509 बी तथा धारा 506 दर्ज किया था एवं एक अन्य व्यक्ति दिव्य सिंह की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 149/2022 धारा 384/34 भा.दं.वि. दर्ज किया था, जिसमें जिला पुलिस आरोपी की गिरफ्तारी के लिये लगातार छापेमारी करने लगी थी, जिसके बाद हताश और निराश आशुतोष बहिदार ने मिश्रा चेम्बर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा के मार्ग दर्शन में सुप्रीम कोर्ट में एस.एल.पी (क्रीमिनल) नं. 52/2023 पेश कराया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आशुतोष बहिदार की गिरफ्तारी पर दिनांक 02/01/2023, 03/02/2023 एवं 15/03/2023 को आदेश पारित कर अस्थायी रोक लगा दिया था एवं मामले की सुनवाई के लिये छत्तीसगढ़ के गृह सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
उपरोक्त मामले में पुलिस और प्रशासन की ओर से जवाब दाखिल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्याय मूर्ति एस.व्ही.एन. भट्टी की डिवीजन बेंच में गत 21 सितम्बर को जब सुनवाई प्रारंभ हुई एवं न्यायालय द्वारा यह पूछा गया कि पीड़ित महिला से आरोपी की बातचीत का आडियो, महिला की खींची गई तस्वीरें और वीडियो ग्राफी कहां हैं एवं किस-किस मोबाइल नंबर पर इसे फारवर्ड किया गया है, तब भरी अदालत में शासकीय अधिवक्ता को स्वीकार करना पड़ा कि ऐसा कोई वीडियो, आडियो या फोटो किसी भी थर्ड पार्टी को आरोपी ने नहीं भेजा है।
पीड़ित पक्ष ने यह कहा
सुप्रीम कोर्ट में यह दिलचस्प नजारा भी देखने को मिला कि मोबाइल से फोटो खीचने, वीडियो बनाने और पीड़ित महिला से अश्लील बातचीत करने के आधार पर रायगढ़ जिला की पुलिस ने आरोपी आशुतोष बहिदार के विरुद्ध अपराध दर्ज किया था लेकिन पूरे केस की विवेचना कर लेने के बाद भी न तो ऐसा कोई मोबाइल मिला, न ही ऐसी कोई फोटो, वीडियो या आडियोग्राफी मिली ।
न्याय के लिए इतनी लंबी लड़ाई
तमनार पुलिस द्वारा बनाए गए दोनों मामलों में सुनवाई पश्चात देश की सर्वोच्च अदालत ने आरोपी आशुतोष बहिदार की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर लिया ।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के बाद आशुतोष बहिदार ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जिंदल कपंनी के इशारे पर काम करने वाली रायगढ़ की पुलिस के लिये सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक सबक है, वहीं इस आदेश के संदर्भ में मिश्रा चेम्बर के एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा ने कहा कि उन्हें इस बात का अफसोस है कि इस मामले में आरोपी को छत्तीसगढ़ के सेशन कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक न्याय नहीं मिला बल्कि एक निर्दोश व्यक्ति को न्याय के लिये इतनी लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी ।