
सारंगढ़।।जिला मुख्यालय सारंगढ़ में निम्न और मध्यमवर्गीय परिवार के साथ-साथ गरीब तबकों के लोगों में सट्टा की खुमारी ऐसी छाई है कि कामधंदा छोड?र ओपन-टू-क्लोज का दिवाना हो चुका है। इसकी तस्वीर सारंगढ़ के गली मोहल्लों में साफ देखी जा सकती है। सुबह उठते ही पुराने रिकार्ड लेकर लोग सट्टा का अचूक आंकड़ा निकालते दिख जाते है, और क्या आया, क्या खुला, जैसे डायलॉग सुन सकते है। लोगों को शहर और घर में क्या हो रहा ह,ै क्या सामान नहीं है, इसकी चिंता करने के बजाय ओपन-टू-क्लोज की दिवानगी गली मोहल्ले में देख सकते है। पुलिस है कि कार्रवाई से मानती नहीं और सटोरिए है कि मनमानी से बाज आते नहीं के तर्ज पर खेल चल रहा है। पुलिसिया कार्रवाई का तो सटोरियों को खैौफ ही नहीं रहा है। लग्जरी लाइफ जीने वाले सट्टा किंग जिसे कभी साइकिल भी नसीब नहीं था, वे आज स्कार्पियो में घूम रहे है। जबकि सभी को मालूम है कि उनका फाइनेंसियल बैकग्राउंड आज से पांच साल पहले क्या था,और आज क्या है। दिल्ली, मुंबई, नागपुर में बैठे सटोरियों से हाथ मिलाकर राज्य स्तर पर सट्टा का संचालन को अंजाम दे रहे है। पुलिस को जहां-जहां सट्टा लिखने की सूचना मिलती है लगातार कार्रवाई भी कर रही है, उसके बाद भी सटोरियों में पुलिसिया खौफ कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा है। पुलिस के बड़े अधिकारियों के सख्त निर्देश के बाद भी जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में सट्टा बंद नहीं हो सका। पुलिस भी इन कमियों को जानती है, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते मजबूर है, रोज छोटे-मोटे गुर्गों को पकड़ कर खाना पूर्ति कर रही है। जबकि सट्टा किंग आलीशान जिंदगी जी रहा है । ऐसी स्थिति में पुलिस उन सटोरियों के गिरेबान पर हाथ डाले तो कैसे डाले, क्योंकि उसके पास पुख्ता सबूत ही नहीं है, पुुलिस ने आज तक जितने भी सटोरियों को पकड़ा है किसी ने भी सट्टा किंग का नाम नहीं बताया है। ये सटोरिए तो निजी मुचलके पर थाने से ही छूट कर फिर सट्टा में लिप्त हो जाते है। क्योंकि सट्टा में ही रोज एक हजार की कमाई करने की आदत लग चुकी है। दिहाड़ी मजदूरी में किसी के दुकान में काम करने पर मात्र 300 रुपए मिलते है, इसलिए रोज एक हजार रुपए कमीशन के लिए सट्टा को ही मुख्य रोजगार बना रखा है।
कोई रोक-टोक नहीं
शहर के कई क्षेत्रों में सट्टे का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पूरा मामला जान कर भी स्थानीय पुलिस मौन धारण किये हुए है। पूरे शहर को सट्टे ने अपनी चपेट में ले लिया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग अब खुलेआम सट्टा खेल रहे हैं और उनमें पुलिस का भी कोई डर नहीं नजर आता। वहीं पुलिस भी इस पूरे मामले पर अपनी आंखें मूंदे हुए हैं। शहर की तंग गलियों में काफी लोग सट्टे के धंधे में लगे हुए हैं। वहीं हालात देखकर लगता है कि इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं पुलिस की कार्रवाई नहीं हो रही है, क्योंकि जिस तरह खुलेआम सट्टा चलने लगा है, इसकी जानकारी पुलिस को होते हुए भी कोई कार्यवाई नहीं कि जाती हैं।
पुराने खाईवालों धंधा बंद लेकिन सट्टा किंग संदीप मौज में?
डमरुआ डॉट कॉम लगातार सट्टा किंग संदीप से जुड़े खबर प्रकाशन कर शासन प्रशासन को अवगत करा रहा है फिर भी कार्रवाई शून्य मात्र ही नजर आ रहा है ऊपर लिखे लेख इसी संदीप के साम्राज्य की गाथा बयां कर रहा है .सूत्रों का दावा है कि सारंगढ़ के जितने पुराने सट्टा खाईवाल थे सभी ने काम बंद कर दिया है जबकि संदीप का दिल है कि मानता नही ।