
रायगढ़।।रायगढ़ विधानसभा सीट में प्रत्याशी के सवाल पर भाजपा नेताओं में आपसी संग्राम छिड़ा हुआ है। बीजेपी का हर दूसरा और चौथा नेता इन दिनों मुंगेरीलाल की भूमिका में तब्दील हो गए हैं और विधायक बनने का सपना संजोये हुए हैं। लायक व सशक्त नेताओं की टिकट पर दावा समझ में आता है मगर विज्ञप्तिवीर नेताओं की ऐसी बाढ़ आ गयी है
टिकट के दावेदारों की भीड़ के बीच एक ऐसा शख्स मौजूद है जो न तो पहचान का मोहताज है और ना ही सियासत की आवश्यक दुगुर्णों से कोसों दूर है। जी हां! हम यहां बात कर रहे हैं- सुनील रामदास अग्रवाल की। लालच व लोलुपता के अपयश से अछूता यह बंदा इस बार सामने आया है। सुनील रामदास यूं तो प्रबल सामाजिक पृष्ठभूमि के हैं मगर पल-पल, बनते-बिगड़ते सियासी समीकरणों के बीच सुनील की महत्वाकांक्षा को भी पंख लग गए हैं। सुनील के पिता स्व. रामदास अग्रवाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे लेकिन सुनील ने पिछले 15 बरसों से भगवा चोला ओढ़ लिया है।
संघ परिवार से सतत् संपर्क में रहने वाले सुनील रामदास राष्ट्रवादी गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता दर्ज कराते हैं। पर्यावरण व शिक्षा दो ऐसे अहम विषय हैं। जिसका हर आम-ओ-खास सीधे नाता है। रामदास द्रौपदी फाऊण्डेशन के माध्यम से सुनील रामदास पिछले काफी अरसे से पर्यावरण संरक्षण की मशाल थामे हुए हैं। पौधारोपण यह शब्द नहीं वर्तमान दौर की जीवनचर्या से जुड़ी अनिवार्य आवश्यकता है और रायगढ़ जिले में पौधारोपण का जिक्र होते ही लोगों के जुबान में सुनील रामदास का नाम आ जाता है।
विश्लेषण भी होना चाहिए और अन्वेषण भी, क्योंकि सुनील रामदास के व्यक्तित्व से भाजपा को फायदा ही होगा किन्चित मात्र भी नुकसान नहीं । भाजपा के तमाम कार्यकर्त्ता उनसे आत्मीय लगाव रखते हैं। युवा कार्यकर्त्ता सुनील रामदास का आदर करते हैं और उनका मिलनसार स्वभाव उनके व्यक्तित्व का सर्वाधिक सकारात्मक पक्ष है। यही कारण है कि सुनील रामदास को जीत की संभावना वाला चेहरा माना जा रहा है। अग्रवाल समाज का प्रतिनिधित्व करने के बाद भी सुनील, समाज के अन्य वर्गों में अधिक लोकप्रिय हैं।