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Raigarh News: अंचल के देवी मंदिर में शारदीय नवरात्र पर्व को लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही

डमरुआ न्युज/रायगढ़। अंचल के देवी मंदिर में शारदीय नवरात्र पर्व को लेकर सप्ताहभर पहले से तैयारी चल रही है जो अब लगभग पूरी हो गई है। रविवार से घट स्थापना के साथ माता नवदुर्गा का अराधना शुरू होगा। इसको लेकर मंदिर संचालक द्वारा पहले से तैयारी की जा रही है। साथ ही सभी देवी मंदिरों को रंगीन झालरों से सजाया गया है।
इस बार 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। इसको लेकर अंचल के देवी मंदिरों में सप्ताहभर पहले से तैयारी चल रही है। कई जगह तैयारी पूरी हो चुकी है तो कई जगह अभी चल रही है। इस संबंध में मंदिर के पुजारियों ने बताया कि नवरात्र के पहले ही दिन से माता के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ शुरू हो जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए तैयारी की जा रही है।
पूरे नव दिनों तक माता के नव रूपों की पूजन किया जाएगा। इस बार सभी देवी मंदिरों में विगत तीन-चार सालों की अपेक्षा ज्यादा मनोकामना ज्योति जलने की बात कही जा रही है। बताया जा रहा है कि मनोकामना ज्योति कलश के लिए बीते 15 दिन पहले से ही रसीद कटना शुरू हो गया है।
  • चमक रहा मां का दरबार

शारदीय नवरात्र के लिए मात्र दो दिन शेष रह गया है। जिसको लेकन लगातार कार्य हो रहे हैं। वहीं बताया जा रहा है कि नवरात्र के पहले दिन रविवार सुबह से ही देवी मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचेगे, जिसके लिए खास तैयारी की जा रही है। वहीं मान्यता है कि इन नौ दिनों तक जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से माता का पूजन करते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।
  • पद्म योग से शुरू होगा नवरात्र

  • इस बार नवरात्र के हर दिन अलग-अलग योग के संयोग बन रहे हैं। इसमें पहले दिन पद्म योग है। पंडितों की माने तो इस बार पद्म योग होने के कारण मां अम्बे हाथी पर सवार होकर आएंगी। मान्यता है कि हाथी सुख-समृद्धि का मानक है। ऐसे में किसानों से लेकर व्यापारी वर्ग को भी लाभ होगा। नवरात्र के नौ दिन काफी शुभ माने गए हैं। पंडित बाबा राजकुमार चौबे के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों तक विधि-विधान पूजन करने से अलग-अलग योग का लाभ भक्तों मिलेगा।

  • सज रहा देवी पंडाल

    शहर में सार्वजनिक रूप से देवी पंडाल सजाया जा रहा है। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। हालांकि नवरात्रि दो दिन बाद रविवार से शुरू हो जाएगी, लेकिन शहर में सार्वजनिक देवी पंडाल देवी प्रतिमा की पूजा सप्तमी से शुरू की जाती है। सप्तमी से नवमीं तक शहर में श्रद्धालुओं का समागम रहता है। हर समिति श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए आकर्षक पंडाल सजाता है तो लाइटिंग की व्यवस्था भी शानदार रहती है।

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