
डमरुआ न्युज/रायगढ़, रायगढ़ विधानसभा से बीजेपी ने अपना प्रत्याशी पूर्व आई.ए.एस. ओ.पी. चौधरी को बनाया है। इस नाम की घोषणा होते ही अन्य राजनीतिक पार्टियां कॉमा में चली गई दिखाई दे रही हैं। किसी भी अन्य राजनीतिक दल की ओर से रायगढ़ विधानसभा के लिए अपना प्रत्याशी उतारने में काफी लंबा समय लिया जा रहा है। इस स्थिति को देखकर ऐसा लग रहा है कि मानां अन्य राजनीतिक पार्टियां अपनी बची बचाई इज्जत को रायगढ़ में दांव पर नहीं लगाना चाहती हैं।
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ओपी के आने के पहले खूब किया हो हल्ला, अब छाई खामोशी
जब तक ओपी का नाम भाजपा ने रायगढ़ विधानसभा के लिए ओपी का नाम उम्मीदवार के तौर पर घोषित नहीं किया था तब तक कांग्रेस की ओर से अपने सोशल मीडिया की तथाकथित पत्रकार टीम को एक्टिव कर ओपी का दुष्प्रचार किया जा रहा था, लेकिन जैसे यह बात तय हो गई कि ओपी चौधरी ने रायगढ़ में ही अपना खूंटा गाड़ दिया है तो कांग्रेस सहित अन्य दलों की और उनके चहेतों की बोलती ही बंद हो गई।
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प्रकाश और शंकर की जोर आजमाइश
कांग्रेस की अेार से जहां रायगढ़ विधानसभा से प्रकाश नायक का नाम तय माना जा रहा है , लेकिन शंकर लाल अग्रवाल भी टिकट की दौड़ में तेज गति से भाग रहे हैं। हालांकि दो सशक्त दावेदारों के होने के बावजूद इन पर दांव लगाने के लिए कांग्रेस हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
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लल्लू सिंह पहुंचाएगें कांग्रेस को भारी नुकसान
यदि लल्लू सिंह को आप पार्टी की ओर से टिकट दे दी जाती है तो यह तय है आप पार्टी को कितना फायदा होगा यह तो नहीं कहा जा सकता हां इतना जरूर है कि कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। आपको बता दें कि लल्लू सिंह नेतनागर से जिले के पुराने कांग्रेसी और प्रतिष्ठित व पार्टी के लिए समर्पित नेता थे , लेकिन कुछ माह पहले ही कांग्रेस एवं उसके कर्ताधर्ताओं पर उन्होंने भ्रष्टाचार, परिवारवाद और कार्यकर्ताओं के साथ उपेक्षा सहित दर्जनों आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी और आप पार्टी को ज्वाईन कर लिया था। अब लल्लू सिंह आप पार्टी के संभावित उम्मीदवार हैं ऐसे में इस समीकरण से किस पार्टी को नफा और किसे नुकसान होगा इस बात की चर्चा भी राजनैतिक गलियारों में शुरू हो गई है।
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क्या ओपी जीत पाएंगे रायगढ़ वासियों का दिल
भाजपा ने ओपी पर भरोसा जताते हुए उन्हें रायगढ़ से टिकट दे दिया है और पार्टी को यह भरोसा भी है कि ओपी पार्टी की नैया पार लगा देंगे। सवाल यह है कि क्या रायगढ़ के लोग उन पर भरोसा कर पाएंगे, या भरोसा कर भी लें तो किस ठोस कारण से उन्हें भरोसा कर लेना चाहिए……यह बात उन्हें और पार्टी को जन-जन तक पहंुचाने की जरूरत होगी। ओपी के लिए पार्टी द्वारा दिया गया दायित्व, पार्टी का भरोसा और स्वयं के राजनैतिक अस्तित्व के लिए भी यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। चुनाव में हार या जीत कोई बड़ी बात नहीं है बल्कि अपने प्रशासनिक कॅरियर से राजनैतिक कॅरियर को चुनना उनके स्वयं के लिए सही निर्णय था या नहीं उसे इस चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे। बहरहाल पार्टी के असंतुष्टों की गणित और और विपक्ष के सभी हमलों को कुशलता से नाकाम करते हुए चुनावी जंग में विजय पाना उनके लिए बड़ी चुनौती है, ऐसे में क्या वो रायगढ़ की जनता का विश्वास जीतते हुए उस विश्वास को वोट में तब्दील कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी।