
डमरुआ न्युज/रायगढ़ :- कलेक्टर रहते ओपी चौधरी के व्यक्तिगत प्रयासों से राजधानी रायपुर में निर्मित नालंदा परिसर लाइब्रेरी से प्रदेश के युवा लाभान्वित हो रहे है। यह बताना लाजमी होगा कि नालन्दा विश्वविद्यालय भारत के बिहार राज्य में नालंदा जिले के राजगीर में स्थित एक सार्वजनिक केंद्रीय / संघ विश्वविद्यालय है। इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान और उत्कृष्टता के रूप में नामित किया गया है। नालंदा प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। शैवधर्म के इस शिक्षा-केन्द्र के साथ ही अन्य धर्मों के तथा अनेक देशों के छात्र पढ़ते थे।
वर्तमान बिहार राज्य में पटना से ८८.५ किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और राजगीर से ११.५ किलोमीटर उत्तर में एक गाँव के पास अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा खोजे गए इस महान बौद्ध विश्वविद्यालय के भग्नावशेष इसके प्राचीन वैभव का बहुत कुछ अंदाज़ करा देते हैं। अनेक पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत के इतिहास को पढ़ने आया था के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के यात्रा विवरणों से इस विश्वविद्यालय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। यहाँ १०,००० छात्रों को पढ़ाने के लिए २,००० शिक्षक थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने ७ वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था। प्रसिद्ध ‘बौद्ध सारिपुत्र’ का जन्म यहीं पर हुआ था। नालंदा नामकरण भी ओपी के प्रयासों की देन मानी जाती है। जिलाधीश बनने के दौरान रायगढ़ के माटी पुत्र ओपी ने बहुत सी समस्याओं को जमीनी रूप से महसूस किया।
आने वाली युवा पीढ़ी को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े इस लिए उन्होंने नालंदा लाइब्रेरी के निर्माण का बीड़ा उठाया। यह कार्य भी कठिन हो था जगह चयन से लेकर राशि का आबंटन समेत ऐसी बहुत सी बाधाएं रही जो नालंदा परिसर के निर्माण में बाधक रही। जो व्यक्ति कार्य को कठिन मान लेते है वे कभी लक्ष्य को हासिल नही कर पाते ओपी ने कामों को कठिन मानने की बजाय उसके समाधान का मार्ग ढूंढा यही वजह से शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने ऐसे कार्य किए जिसकी सराहना प्रधान मंत्री मोदी ने की बल्कि यूपीए के प्रधान मंत्री मनमोहन के हाथो भी वे पुरुस्कृत हो चुके।
राजधानी रायपुर में नालंदा परिसर 6 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है। 24 घंटे सातो दिन चलने वाले इस लाइब्रेरी में 50 हजार ऐसी पुस्तके है जिनके अध्यन से युवा शिक्षा के क्षेत्र में अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सकते है। प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तको की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है खासकर आई ए एस एवम आई एस की सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक छत के नीचे पुस्तक उपलब्ध होना छात्र छात्राओं के लिए बहुत सुविधाजनक कदम साबित हुआ।इस विश्वस्तरीय लाइब्रेरी में 3000 से अधिक सदस्य है और 4000 सदस्य प्रतिक्षा सूची में है। इस लाइब्रेरी में 200 कम्प्यूटर के साथ डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा भी है।100 mbps की नेट कनेक्टिविटी की सुविधा भी यहां मौजूद है। पांचवी सदी में दुनिया का पहला इंटर नेशनल लर्निंग सेंटर बनाया गया। दुनिया भर से छात्र शिक्षक यहां सीखने सिखाने आते थे ।स्टूडेंट्स टीचर्स कॉलर्स यहाँ पर सीखने और सिखाने आते थे।नालंदा यूनिवर्सिटी देश की महत्वपूर्ण उपलब्धि थी लेकिन सन 1193 में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिया गया।
ओपी के प्रयासों की वजह से छग की राजधानी रायपुर में देश का पहला स्टेट ऑफ दी आर्ट 24/7 लर्निंग सेंटर की नीव नालंदा परिसर के रूप में कलेक्टर रहने के दौरान रखी गई। ओपी ने एक इंटरव्यूह के दौरान कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान पुस्तको की अनुपलब्धता सबसे बड़ी बाधा है जिसे मैंने महसूस किया आने वाली पीढ़ी को इसका सामना नही करना पड़े इसलिए इसके निर्माण का बीड़ा उठाया। 3 फ्लोर की इस लायब्रेरी में सभी विषयों को पुस्तके उपलब्ध है। इस यूथ टावर में प्रतिदिन 1700 से अधिक छात्र छात्राएं आते है। ओपी चौधरी ने अपने छात्र जीवन को साझा करते हुए बताया कि सन 2000 में छग गठन के दौरान वे कॉलेज में अध्यन रत रहे।
रायपुर से लेकर भिलाई तक खोजने पर भी आई ऐ एस की।तैयारियों हेतु किताबें उपलब्ध नहीं हो पाती थी। महंगी किताबे खरीदना मध्यम वर्गीय परिवार के छात्रों के लिए खरीदना काफी दुष्कर था। छत्तीसगढ़ के युवाओं के भविष्य को गढ़ने एवम उनके सपने को पूरा करने के लिए नालंदा परिसर लाइब्रेरी को साकार रूप दिया गया। ओपी ने बताया यह लाइब्रेरी भाजपा का कोई चुनावी वादा नही था बल्कि यूवाओ की बेहतरी के लिए उठाया गया स्वर्णिम कदम था। देश में 65% आबादी 35 वर्ष से कम आयु वर्ग के युवाओं की है। और जब हम भारत को ग्लोबल पावर बनाना चाहते हैं तो यूथ अच्छी सुविधाएं देनी होगी। तभी भारत के विश्व गुरु बनने का मार्ग प्रशस्त होगा। देश में बहुत से लाइब्रेरी है लेकिन राजधानी स्थित नालंदा लाइब्रेरी में बायोमेट्रिक स्कैन ऑटोमेटेड लैन्डिंग सर्विस जैसी सुविधाएं मौजूद है। आरएफआईडी यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिटी कार्ड सदस्यों को जारी किए जाते है।इस सुविधा से पुस्तके लेने की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाती है।नालंदा परिसर के परिसर को इंजीनियरों द्वारा डिजाइन किया गया है ।
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ओपी ने शिक्षा को बदलाव का माध्यम बनाया
राजनीति से परे प्रदेश भर के युवा ओपी चौधरी को अपना युथ आइकॉन मानते रहे है। ओपी ने इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया है कि उनके जीवन मे बदलाव में शिक्षा से आया है। ओपी ने जहां भी रहे उन्होंने इसके भविष्य की कार्ययोजना बनाई ताकि उसका लाभ आने वाली पीढ़ी को मिल सके। राजधानी में उन्होंने लाइब्रेरी बनाई तो बस्तर में उन्होंने एजुकेशन सिटी बनाई जांजगीर में उन्होंने सैनिकों के प्रशिक्षण की दिशा मे काम किया। बेरोजगारी को खत्म करने के लिए उन्होंने आत्मनिर्भरता पर जोर दिया इस हेतु उन्होंने बढ़ाई राजमिस्त्री पलंबर वाहनों के मिस्त्री जैसी रोजगारोन्मुखी कार्य का प्रशिक्षण लाइवली हुड माडल के जरिए शुरू किया। उनके कामों को लंबी सूची उस दौर की है जब वे राजनीति में नही थे बल्कि सरकारी पद में थे। ओपी आम जनमानस के मध्य एक लोकप्रिय नेता के रूप में विश्वास अर्जित करने में कामयाब रहे।