
सारंगढ़।।गुडेली पहुचते ही हर तरफ क्रशर नजर आने लगते हैं, लेकिन मुख्य मार्ग के किनारे स्थापित इस क्रशर के संचालन में गंभीर लापरवाहियां बरती जा रहीं हैं। जिसको न तो खनिज विभाग ध्यान दे रहा है और न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी। विभागों की निष्क्रियता को देखकर यह लग रहा है कि क्रशर संचालक की मनमर्जी के आगे जिम्मेदार अधिकारी भी नतमस्तक हो चुके हैं। हालात यह है कि नियम विरुद्ध संचालित हो रहे इस क्रशर के संचालक पथरीली धूल के साथ नियमों को भी हवा में उड़ा रहा हैं । क्रशर की धूल को उडऩे से रोकने के लिए पानी का छिड़काव तो दूर टंकी तक नहीं रखवाई गई हैं। यही कारण है कि क्रशर के चलने से मुख्य मार्ग साम के समय धूल के गुबार उठने से यातयात ही नही अपितु आसपास रहलने वाले लोगों के साथ खेती को भी नुकसान पहुंचा रही है।
साईं मेटल के संचालक की मनमानी चरम पर
बात करे गुडेली में संचालित राष्ट्रीय राज्य मुख्य मार्ग के किनारे स्थापित साईं मेटल( क्रशर) प्लांट की तो यहाँ एनजीटी के नियमो की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही है इस क्रेशर में पर्यावरणीय नियमो तथा मजदूरों की सुरक्षा के प्रति घोर लापरवाही बरती जा रही है ।साईं मेटल के संचालक मनमाने ढंग से क्रेशर का संचालन कर रहे है जिसपर विभागीय अधिकारी की एक नजर तक नही जा रही यू कहे खुले तौर पर संचालक को अभयदान दे दिया गया है ।
यह हैं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम
क्रशर लगाने के लिए जमीन का आवंटन जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है, तो उसको स्थापित और विधिवत संचालन कराने की जिम्मेदारी खनिज विभाग की होती है। इसके अलावा क्रशर से प्रकृति को होने वाले नुकसान को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मॉनिटरिंग करता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार सभी क्रशर संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे क्रशर पर पानी की टंकी स्थापित करें और क्रशर चालू होते ही लगातार पानी की छिड़काव करें, जिससे पथरीली धूल को उडऩे से रोका जा सके। इसके अलावा यदि क्रशर सड़क किनारे है तो 12 से 15 फीट ऊंची दीवार भी खड़ी करने का नियम है।
खनिज विभाग ने साधी चुप्पी,रायल्टी में हेरा फेरी का सिलसिला जारी
अटूट खनिज संपदा से भरे पड़े गुडेली में क्रेशर कारोबारियों पर खनिज विभाग के अलावा राजस्व महकमे की दया दृष्टि बनी हुई है। जिनकी मौन स्वीकृति के चलते क्रेशर कारोबारियों ने गुडेली में पत्थरों का भारी तादाद में अवैध उत्खनन कर रॉयल्टी चोरी कर शासन को करोड़ो के राजस्व का नुकसान पहुँचा चुके है जबकि वर्तमान में भी यह खेल जारी है । कुछ चुन्नीदा क्रेशर कारोबारियों के ठिकानों पर दबिश दी जाये तो शासन के खाली पड़े खजाने की भरपाई काफी हद तक की जा सकती है। गुडेली में इस तरह के मामलो का सुर्खियों में रहने के बाद भी विभागीय कोई कार्यवाही नहीं कि गई है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक साईं मेटल के संचालक खनन कर पत्थर निकालने की अनुमति तो जरूर लिया है लेकिन कही भी उनके द्वारा खनन नही किया गया है ।जबकि अवैध तरीके से पत्थर लेकर क्रेशर का संचालन किया जा रहा है ।हमारे विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि साईं मेटल के संचालक के द्वारा बिना खदान की खुदाई कर भारी मात्रा में रॉयल्टी निकाल शासन को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे है ।लिहाजा जांच होती है तो एक बड़े रॉयल्टी चोरी के मामले का खुलासा हो जाएगा ।