
डमरुआ न्युज/रायगढ़। शराब दुकान सरकारी होने के बाद भले ही दुकानों का जिम्मा प्लेसमेंट एजेंसी के भरोसे छोड़ दिया है, लेकिन यहां पर विभाग के कर्मचारियों को लगातार मॉनिटरिंग करना होता है।
इसके अलावा जिले में अवैध रूप से शराब बिक्री होने की शिकायत हो चाहे जंगलों में अवैध रूप से महुआ शराब भट्टी संचालित होने की शिकायत हो दोनों पर विभाग को कार्रवाई करना है, लेकिन दूसरी ओर देखा जाए तो विभाग के पास इसके लिए पर्याप्त बल ही नहीं है। शासन ने जिले के क्षेत्र के हिसाब से जो पद स्वीकृत किया है इसमें मैदानी क्षेत्र में कार्य करने वाले पदों पर गौर किया जाए तो स्वीकृत पद से आधे ही भरे हुए हैं, यह स्थिति अभी की नहीं पिछले लंबे समय से चली आ रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि शासन स्वीकृत पद से 50 फिसदी अमले होने की बात से अनजान नहीं है इसके बाद भी इस दिशा में कभी पहल दिखाई नहीं दे रही है।
कार्यालय में स्वीकृति से अधिक की पदस्थापना
जिले में संचालित आबकारी विभाग के लिए शासन ने भृत्य के 9 पद स्वीकृत किए हैं। सेटअप में उक्त पद संख्या की तुलना में जिले में 12 भृत्य की पदस्थापना कर दी गई है। वहीं 1 लिपिक का पद स्वीकृत है जिसके विपरित 2 लोगों की पदस्थापना की गई है। वहीं मुख्य आरक्षक के 5 पद पर 8 लोग कार्य कर रहे हैं।
कराया जा चुका है अवगत
विभाग के अधिकारियों की माने तो स्वीकृत पद की तुलना में कर्मचारियों की संख्या काफी कम होने की जानकारी मुख्यालय को कई बार भेजी जा चुकी है, लेकिन अब तक इस दिशा में मुख्यालय से कोई जवाब नहीं मिला है।
रामकृष्ण मिश्रा ने कहा-
स्वीकृत पद के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या में कमी है, शासन को अवगत कराया जा चुका है, शासन स्तर पर इस दिशा में भर्ती की कार्रवाई चल रही है।