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मोदी का इजरायल को समर्थन कितना सही ?

     इजरायल और हमास के बीच भीषण जंग जारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल पर आतंकी हमले के पहले ही दिन कहा था कि इस संकट की घड़ी में भारत इजरायल के साथ खड़ा है। इसके बाद उन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी फोन पर बात की थी और इजरायल के प्रति एकजुटता दिखाई।

देश में कई जगह समुदाय विशेष के लोग इस पर जहां एक ओर हमास के कदम को कई तरह के कुतर्क दे कर सही बता रहे हैं, तो कई प्रधानमंत्री के इस कदम की निदा कर रहे हैं। इस काम को विपक्षी पार्टी हवा दे रही हैं। 

    परंतु भारत में जब कारगिल युद्ध की स्थिती थी तब इन लोगो को साप सूंघ गया था। और तब इजरायल ने भारत की मदद की थीं।

पीएम मोदी के शासनकाल में इजरायल और भारत के रिश्ते प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देश बड़े व्यापारिक साझीदार हैं। भारत एशिया में इजरायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और विश्व स्तर पर सातवाँ सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। भारत इजरायल का बड़ा रक्षा उपकरण आयातक देश है। भारत का 40 फीसदी रक्षा उपकरण और हथियार इजरायल से ही आता है

परंतु मुख्य कारण यह है कि 1999 में जब पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध छेड़ दिया था, तब इजरायल ने पाकिस्तानी मंसूबों को फेल करने में बड़ी मदद की थी । इजरायल से तब लाइटनिंग इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टार्रेटिंग पॉड्स भारत को दिए थे। इन पॉड्स की खासियत यह थी कि उसमें लेजर डेजिग्रेटर के अलावा हाई रिजॉल्यूशन कैमरे भी लगे थे, जो अधिक ऊंचाई पर भी दुश्मन के ठिकाने की तस्वीरें साफ दिखाता था।

  1.     हुआ यह था कि जब पाकिस्तान ने कारगिल में जंग छेड़ी, तब भारत को नहीं पता था कि सीमा पार कितने पाक सैनिक हैं और उनके कितने ठिकाने, कहां- कहां हैं। ऐसे में भारत को लेजर गाइडेड मिसाइल और बम की जरूरत थी ताकि समय रहते और कम चूक के साथ दुश्मन पर सटीक निशाना साधा जा सके। उस वक्त जो हेलिकॉप्टर थे, वह इस कार्य में सक्षम नहीं थे, इसलिए इजरायल से उस पॉड्स को मंगाने की जरूरत महसूस कर रही थी ।

  तब भारत इजरायल ने डिफेंस इंजीनियरों की एक टीम भेजी थी, जिसने भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट मिराज में ये पॉड्स लगाए थे। इजरायल ने कारगिल युद्ध में IAF के मिराज 2000H लड़ाकू विमानों के लिए लेजर- गाइडेड मिसाइलें भी दी थीं। इसकी वजह से भारतीय सेना ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर भी दुश्मन के ठिकानों को तहस नहस कर दिया था और कारगिल पर दोबारा कब्जा करने में भारतीय सेना सफल रही थी। 

   अब आप सोच सकते हैं कि पीएम की आलोचना करने वाले भारत के मुसीबत के समय काम आने वाले मित्र को छोड़ने की बात कर रहे हैं। 

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