क्या समाज विशेष के वोट से चुनाव जीत सकते है व्यास ?
व्यास नारायण कश्यप को जांजगीर चांपा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया है।
व्यास नारायण कश्यप मूल रूप से भाजपाई है जो 2018 के चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़ बसपा का दामन थाम चुनाव मैदान में उतरे और बसपा के वोट बैंक के सहारे अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज की, और चुनाव हार कर कांग्रेसी बन गए ।
कृषि उपज मंडी समिति अध्यक्ष
जहा उन्हें जातिगत समीकरण का लाभ मिला और नैला कृषि उपज मंडी समिति का अध्यक्ष बनाया गया। जिसके भारी भरकम जमा राशि और जिला मुख्यालय में होने के कारण लाइम लाइट तो मिला। परंतु जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता दुर ही रहे।
व्यास नारायण कश्यप के पास उनके सामाजिक कार्यकर्ता तो भाजपा, बसपा, कांग्रेस सभी पार्टी के है, जो भीतर खाने पार्टी से विद्रोह कर सामाजिक व्यक्ति के लिए कार्य करते है। ऐसे कार्यकर्ताओ के दम पर चुनाव को प्रभावित किया जा सकता है, किसी प्रत्याशी को हराया जा सकता है। परंतु चुनाव जीता नही जा सकता।
चुनाव जितने के लिए संगठित कार्यकारणी और कुशल प्रबंधन का होना आवश्यक है। जिनमे आपसी समन्वय हो। जो आज व्यास नारायण कश्यप के पास नही है।
कांग्रेस से टिकट अवश्य मिल गया है, परंतु पार्टी संगठन में व्यास की पकड़ या समन्वय आज तक ठीक से स्थापित नही हो पाया है।
नाम की घोषणा हुए आज सप्ताह बीत चुके है , परंतु अभी तक कांग्रेस संगठन के लोगो को किसी तरह की जवाबदारी नही दी गई हैं।
यही कारण है की अभी भी काग्रेस कार्यकर्ताओ में निराशा दिखाई दे रहा है। ऐसा लग रहा है की जांजगीर चांपा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का प्रत्याशी नहीं है।