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क्या अधिकारियों को नही भा रहा जांजगीर के साथ चांपा का नाम ?

चांपा के जनप्रतिनिधी को नही है सरोकार

चांपा सादियो से संस्कृतिक रुप से समृद्धि हैं यहा कला की हर विधा के दर्शन हो जायेंगे। आज भी चांपा को कोसा, कांसा, कंचन की नगरी कहा जाता है।
परंतु 25 मई 1998 को जांजगीर चांपा जिला बनने के बाद से चांपा के साथ सौतेला व्यवहार हमेशा रहा। जिले में स्थित लगभग हर शासकीय कार्यालय जांजगीर में स्थापित किया गया और चांपा को केवल पुछ की तरह जांजगीर के पीछे लगा दिया जाता हैं। परंतु अब प्रशासनिक अधिकारियों को यह भी शायद अच्छा नहीं लग रहा है। यही कारण है कि अब ज़िला जांजगीर चांपा की जगह केवल ज़िला जांजगीर लिख कर आमजन के मानस पटल से चांपा का जिले के नाम साथ था, यह स्मृति चिन्ह मिटने की कवायद शुरू हो गई है।
और इसकी शुरुवात हुई है, आम जनता को दी जाने वाली राशन कार्ड से। जिले के हर ब्लाक में और नगरीय निकाय मुख्य कार्य पालन अधिकारी में के हस्ताक्षर से जारी किए गए हैं। ऐसे में यह नहींं कहा जा सकता है कि
यह भुल वस हो गया है, क्योकि जिले भर में क़रीब 3 लाख 4 हजार 474 राशन कार्ड धारी हैं।
जांजगीर चांपा ज़िले में 5 जनपद पंचायत , 3 नगर पलिका और 7 नगर पंचायत हैं। फिर 15 अधिकारियों के द्वारा एक ही गलती कैसे हो सकती है।
यहां एक बात गौर करने वाली है कि चांपा नगर पालिका प्रशासन और बडी बडी डींगे हाकने वाले चांपा के जनप्रतिनिधि भी आज तक इस बात को नजर अंदाज करते रहें हैं।
किसी ने आज दिनांक तक इस पर आपत्ति तक दर्ज नहीं कराई।
चांपा के साथ दोयम दर्जे का प्रशासनिक व्यव्हार का सबसे बड़ा कारण ही यह है। यहां के नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए और फ़ोटो खिंचवाने के लिए आगे रहते है पर चांपा नगर के लिए कभी ईमानदार प्रयास नहीं किया।

मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है, आदि इस प्रकार से गलती हुई है तो सभी राशन कार्ड में सुधार करवाया जाएगा।
प्रहलाद पांडेय
मुख्य नगर पालिका अधिकरी
नगर पालिका चांपा

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