कटंगपाली में जान माल की परवाह बगैर वैध और अवैध खदान हो रहे संचालित,सुरक्षा मानकों की उड़ाई जा रही धज्जियां
सारंगढ़।सारंगढ़ जिले के गठन को पांच महीने ही हुए हैं। पहले टिमरलगा, गुड़ेली, सरिया की अवैध खदानों पर कार्रवाई का जिम्मा खनिज विभाग पर था, लेकिन अवैध खनन नहीं रोका गया। इस इलाके में खनन माफिया राजनीतिक रसूख रखता है। दबाव पड़ने पर विभाग दो-चार ट्रैक्टर, गिट्टी के ट्रक जब्त करते है। खदानों का असेसमेंट नहीं होता। खदान की लीड होल्डर को एक तय मात्रा में पत्थर निकालने की अनुमति होती है। नियमानुसार अफसरों को हर चार-छह महीने में खदानों का असेसमेंट करना होता है, जिससे पता चलता है कि पत्थर ज्यादा तो नहीं निकाले गए।
जिन क्रशर संचालकों के पास लीज नहीं है, वे अवैध खनन करने वालों से पत्थर खरीदते हैं। इसके लिए राॅयल्टी पर्ची वैध खदान संचालकों से ली जाती है। कुछ लीज होल्डर हैं, जो राॅयल्टी पर्ची बेचने का ही व्यवसाय करते हैं। वे अपनी खदानों की खुदाई या तो नहीं करते या कम करते हैं। इसकी जांच से अवैध खनन पर रोक लग जाएगी। शुक्रवार को रायगढ़ मिनरल्स में अफसरों को ज्यादा पत्थर दिखा तो जांच करने खदान गए, लेकिन यह कार्रवाई नियमित नहीं होती।
व्यावसायिक तरीके से होता है डोलोमाइट
सरिया इलाके में डोलोमाइट की 12 वैध खदानें हैं। इससे दस गुना से ज्यादा अवैध खदानें हैं। कटंगपाली, नौघट्टा, साल्हेओना, छिलपोरा, बोंदा इलाके में भारी मात्रा में अवैध खनन होता है। यहां कांग्रेस भाजपा से जुड़े नेताओं से लेकर गांव के पंच तक अवैध खनन में लगे हैं। अवैध खनन यहां एक छोटी इंडस्ट्री के रूप में चलता है। ओडिशा से अवैध तरीके से विस्फोटक भी लाया जाता है।
लीज की खदानों में नियमो का नही हो रहा पालन
कटंगपाली क्षेत्र में करीब 12 वैध खदान संचालित है लेकिन आश्चर्य होता है की पत्थर खदान में खनन कार्य हाई रिस्क में और सुरक्षा मानक की अवहेलना कर संचालित हो रहा है ।बेसख पत्थर खनन से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती है लेकिन खनन के आड़ में कई नियमो की धज्जियां उड़ाई जा रही है ।नियमो को ताक पर रखकर पत्थर खदान संचालित होने से उसका शिकार गरीब मजदूर होते है ।जिनकी मौत होने पर कई बार खदान मालिक पूरी घटना को ही जमीदोज कर जाते है ।वही कई बार मृतक के परिजन और खदान मालिक के बीच समझौता के जरिए मामला रफा दफा कर दिया जाता है ।