
डमरुआ न्युज/Covid-19 महामारी को रोकने के लिए mRNA वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिकों कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीजमैन (Drew Weissman) को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला है. इस वैक्सीन के जरिए इन दोनों वैज्ञानिकों ने दुनियाभर की सोच बदल दी. दुनियाभर के वैज्ञानिक शरीर में होने वाले इम्यून सिस्टम के एक्शन और रिएक्शन को और ज्यादा समझ पाए थे.
कोरोना जब पूरी दुनिया में फैला तब लोग परेशान थे. इसका इलाज नहीं था. वैज्ञानिक दवाएं खोज रहे थे. हर देश तबाह हो रहा था. करोड़ों लोगों की जान गई. ऐसे मे वैज्ञानिकों के ऊपर काफी दबाव था कि वो ऐसी वैक्सीन विकसित करें, जिससे तत्काल कोविड महामारी पर रोकथाम लगाई जा सके.
ऐसी ही स्थिति 1951 में हुई थी. जब यलो फीवर से दुनिया तबाह थी. उस समय मैक्स थीलर को इस बीमारी की वैक्सीन विकसित करने के लिए चिकित्सा का नोबेल प्राइज दिया गया था. कैटेलिन कैरिको और ड्रू वीजमैन ने वायरस के RNA को समझा. फिर इंसान के शरीर में होने वाले बदलावों को समझा. जेनेटिक लेवल पर RNA कैसे टूट रहा
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जानिए मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार पाने वाले वैज्ञानिकों को
कैटेलिन कैरिको का जन्म 1955 में हंगरी के जोलनोक में हुआ था. उन्होंने 1982 में जेगेड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की. इसके बाद हंगेरियन एकेडमी ऑफ साइंसेस में पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप पूरा किया. इसके बाद उन्होंने फिलाडेल्फिया के टेंपल यूनिवर्सिट में अपना पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च पूरा किया. फिर वो पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में असिसटेंट प्रोफेसर बन गईं. 2013 के बाद कैटेलिन BioNTech RNA फार्मास्यूटिकल कंपनी की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बनी. 2021 में इसी दौरान उन्होंने कोविड महामारी के दौरान कोरोना के mRNA वैक्सीन विकसित की.
ड्रू वीजमैन 1959 में मैसाच्यूसेट्स में जन्मे. उन्होंने 1987 में बोस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी और एमडी की डिग्री हासिल की. इसके बाद हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के बेथ इजरायल डिकोनेस मेडिकल सेंटर क्लीनिकल ट्रेनिंग करते रहे. 1997 में वीजमैन ने अपना रिसर्च ग्रुप तैयार किया. वो पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के पेरेलमैन स्कूल ऑफ मेडिसिन में रिसर्च शुरू किया. फिलहाल पेन इंस्टीट्यूट ऑफ आरएनए इनोवेशंस के डायरेक्टर हैं.