जशपुर – 2023 का विधानसभा चुनाव जिसके दूसरे चरण में 17 नवंबर को वोट डाले जाने की घोषणा के साथ तीनों सीट पर प्रत्याशियों ने जनसम्पर्क शुरू कर दिया है।छत्तीसगढ़ में इस बार का चुनाव भाजपा सिर्फ एक चेहरा एक निशान पर लड़ रही है यानी मोदी और कमल।
जाहिर है यही एकमात्र वजह है जिसके कारण भाजपा की टिकट पाने के लिए कांग्रेस से ज्यादा दावेदार भाजपा में थे।
भाजपा नेतृत्व इस बार प्रदेश की सत्ता में वापसी करने के लिए बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।जशपुर विधानसभा की सीट पर रायमुनी भगत को टिकट देकर शीर्ष नेतृत्व ने ये बताने की कोशिश की है कि स्थानीय नेताओं के दवाब में सीट हारने का कोई जोखिम नहीं लेंगे।यहां से कद्दावर आदिवासी नेता गणेशराम भगत जो 2013 में बागी हो गए थे और डिलिस्टिंग के मुद्दे पर वर्तमान में संघ के चहेते भी हैं,को टिकट नहीं दी गई।वहीं कुनकुरी विधानसभा से सांसद गोमती साय को गृहक्षेत्र होने के बावजूद उन्हें पत्थलगांव भेज दिया गया और पत्थलगांव विधानसभा क्षेत्र से आनेवाले पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को कुनकुरी भेज दिया गया।
विष्णुदेव साय कंवर जनजाति से आते हैं जो भाजपा की वोट बैंक है।इसी वजह से कुनकुरी से भाजपा ने शुरू से ही कंवर समाज के सदस्य को ही टिकट दिया।2018 में भाजपा से दो बार के विधायक भरत साय को जनता ने नकार दिया।इसके बाद भी भाजपा ने विष्णुदेव साय पर भरोसा जताया है।जमीनी सर्वे में विष्णुदेव साय कंवर समाज के साथ ही अन्य समाजों के साथ बेहतर समन्वय बनाने वाले निर्विवाद नेता के रूप में गोमती साय से आगे निकल गए।
अब बात करें गोमती साय की तो लोकसभा सांसद बनने के बाद से ही उन्होंने एक मुखर आदिवासी महिला के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहीं।नेशनल हाइवे 43 पत्थलगांव से कुनकुरी तक की सड़क को बनवाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बार-बार मिलकर लोगों की परेशानी बताई और आज सड़क अंतिम चरण में है।इसके साथ ही रेल लाने के लिए भी सांसद की पहल को पत्थलगांव के लोगों ने सराहा।खास बात यह भी है कि गोमती साय का मायका पत्थलगांव में है।
यही सब वो कारण हैं कि भाजपा ने स्थानीय नेताओं की भावना से हटकर सीट जीतने के फ़ार्मूले पर टिकट दिए हैं।
बहरहाल, कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले है लेकिन सिटिंग एमएलए ही जशपुर की तीनों सीट पर प्रत्याशी होंगे।इसकी संभावना काफी ज्यादा है।यदि सिटिंग एमएलए की टिकट कटी तो भीतरघात बढ़ेगा।बाकी अभी मतदाता चुप रहकर हवा का रूख देखना चाह रहा है।