
नई दिल्ली: CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने मुकदमों की सुनवाई टाले जाने को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस दौरान हिंदी फिल्म दामिनी के उस डॉयलोग की भी याद दिलाई जिसमें कोर्ट द्वारा बार बार तारीख दिए जाने की बात कही गई है. CJI ने कहा कि हम ये नहीं चाहते कि ये अदालत तारीख पे तारीख कोर्ट बनकर रह जाए. CJI ने वकीलों से कहा है कि जब जरूरी हो तो ही सुनवाई टालनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मैंने कुछ डेटा जुटाए हैं. इनके मुताबिक अगर सिर्फ आज की बात करें तो अभी तक 178 मुकदमों की सुनवाई को टालने की मांग की गई है. जबकि इसी साल सितंबर और अक्टूबर में कुल 3688 मामलों की सुनवाई टालने की मांग की गई थी.
CJI कहा कि मामलों को टालने की मांग से शीघ्र सुनवाई करने का उद्देश्य ही विफल हो जाता है. मैं आपको बता दूं कि ये चलन हाईकोर्ट में नहीं है. अगर सिर्फ सुनवाई को टाला जाएगा तो इससे हमारे न्यायलय पर से भी नागरिकों का भरोसा टूटेगा. मैं बार के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि जब तक वास्तव में आवश्यक न हो, सुनवाई टालने की मांग न करें.
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सुनवाई टालने की मांग करना ही गलत
CJI ने वकीलों से आगे कहा कि सितंबर में 2361 मुकदमों में आगे की तारीख मांगी गई. अगर मैं आपको बताऊं तो हर दिन औसतन 59 मामले ऐसे आ रहे हैं. एक ओर मामलों को त्वरित आधार पर सूचीबद्ध किया जाता है. दूसरी ओर, उन पर जल्द सुनवाई की मांग की जाती है, फिर उन्हें सूचीबद्ध किया जाता है और फिर उन्हें टाल दिया जाता है. मैं बार के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि जब तक वास्तव में आवश्यक न हो, सुनवाई टालने की मांग न करें. अगर ऐसा ही होता रहा तो ये यह तारीख पे तारीख कोर्ट नहीं बन सकता. इससे हमारे न्यायालय पर नागरिकों का भरोसा टूट जाएगा.