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छोटा सा गाजा, भारी भरकम बमबारी; फिर भी जानिए क्या है इस्राइल और अमेरिका की मुश्किल?

डमरुआ डेस्क/ त्योहारी महीना आ गया है और भारतीय शेयर बाजार खुशखबरी नहीं दे पा रहा है। दूसरी तरफ फलस्तीन के छोटे से गाजा में इस्राइली सुरक्षा बल आए दिन भीषण बमबारी कर रहे हैं। भारत के पूर्व राजनयिकों और कूटनीतिक जानकारों की मानें तो इस्राइल और फलस्तीन के संगठन हमास के बीच में युद्ध को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जल्दी से जल्दी समेटना चाहते हैं। लेकिन रूस, चीन, तुर्की और ईरान से बहकर आ रही हवा ने उन्हें परेशान कर दिया है। माना जा रहा है कि यह युद्ध लंबा खिंच सकता है और दुनिया के विकासशील देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

इस्राइल की फलस्तीन के संगठन हमास पर भीषण सैन्य कार्रवाई, अमेरिका के खुले समर्थन की घोषणा ने इसे अब काफी पेचीदा बना दिया है। विदेश मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं कि कहीं न कहीं अब बात फंसती दिखाई दे रही है। इस लड़ाई के बाद जो रायता फैला है, उसे समेट पाना बहुत आसान नहीं है। आज भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका ने लड़ाई जारी रखने के पक्ष में अपने वीटो का इस्तेमाल किया। अमेरिका ने इस दौरान हमास से बंधकों को रिहा करने के लिए कहा। यह प्रस्ताव गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कुछ दिन लड़ाई रोकने से संबंधित था। दूसरी तरफ समझने वाली बात है कि हमास के लोग कुछ दिन के अंतराल पर कुछ-कुछ बंधकों को छोड़ रहे हैं। कूटनीति के जानकारों को इस तरह के सभी प्रयासों में मनोवैज्ञानिक वार गेम की झलक साफ दिखाई दे रही है।

  • भारत की ‘एंट्री’ के क्या मायने?

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जी-20 में कॉरिडोर पर बनी सहमति का जिक्र किया। वह इसके पीछे का कारण, भारत के मध्य पूर्व एशिया और यूरोप कॉरीडोर की घोषणा को बता रहे हैं। जबकि भारतीय कूटनीति के जानकार इससे सहमत नहीं हैं। इसी तरह से कतर में वहां की अदालत द्वारा जासूसी के आरोप में 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा को भी तरह तरह से जोड़ा जा रहा है। एक पूर्व राजनयिक ने कहा कि दुनिया में इस समय कई पेंच फंसे हुए हैं। दुनिया की महाशक्तियां उलझी हुई हैं। रूस-यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहा है। इस्राइल हमास पर सैन्य कार्रवाई कर रहा है। अमेरिका उसके समर्थन में खड़ा है। रूस इस मामले में अमेरिका की आलोचना कर रहा है और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका को संदेश पर संदेश देने में लगे हैं।

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