
डमरूआ न्यूज/ रायगढ़. माना की राजनीति में कभी कभार एक्सीडेंट होते हैं, राजनीति की ट्रैक पर चुनाव की ट्रेन डिरेल हो जाती है और चुनाव के नतीजे अप्रत्याशित आ जाते हैं. रायगढ़ विधानसभा में पिछले चुनाव में कुछ ऐसा ही हुआ था भाजपा की ओर से स्वर्गीय रोशन लाल अग्रवाल और कांग्रेस से प्रकाश नायक चुनाव मैदान में थे, उस चुनाव में पूरे प्रदेश में कांग्रेस की लहर थी, इसके बावजूद रायगढ़ में कांग्रेस के प्रत्याशी की जीतने की उम्मीद ना के बराबर थी लेकिन राजनीति में एक्सीडेंट होते हैं यह बात विधानसभा चुनाव के नतीजे ने साबित कर दिया. हर दुर्घटना के बाद विशेषज्ञों की टीम एक्सीडेंट का कारण खोजती है, जिसमें यह पता चला कि भाजपा से दो दिग्गज जिनका जन्मदिन भी एक ही है लंगोटिया दोस्त भी थे मजबूरी और महत्वाकांक्षाओं के कारण एक दूसरे के खिलाफ में चुनाव लड़ रहे थे, जिसका नतीजा यह हुआ कि चुनावी एक्सीडेंट हो गया और बिल्ली के भाग्य से दूध का छींका टूट कर गिर पड़ा. मतलब यह है कि स्वर्गीय रोशन लाल अग्रवाल को जहां रायगढ़ से उम्मीदवार घोषित किया गया था और वह चुनाव लड़ रहे थे तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के ही पूर्व विधायक विजय अग्रवाल जिनके पूरे रायगढ़ विधानसभा में पूछ परख और पकड़ है वह भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान पर थे. इस प्रकार भाजपा के दोनों ही दिग्गजों ने एक दूसरे के खिलाफ पार्टी के वोट तहस-नहस कर डाले और नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस का प्रत्याशी जो प्रदेश में भारी लहर के बावजूद हारने की कगार पर था उसे जीत मिल गई. अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी ऐसे किसी दुर्घटना की आशंका है, यदि हां तो जय प्रकाश तय प्रकाश…. और यदि नहीं, तो सिर्फ ओपी है भरोसे की आश….
दोनों ही दलों की ओर से प्रचार-प्रसार जोरों पर
वर्तमान में भाजपा एवं कांग्रेस दोनों की ओर से चुनाव प्रचार प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है कांग्रेस के प्रत्याशी प्रकाश नायक की अपनी अलग किस्म की फॉलोइंग है और भाजपा के प्रत्याशी ओपी चौधरी यूथ आईकॉन के रूप में पूरे विधानसभा क्षेत्र के सामने हैं. दोनों ही प्रत्याशी और उनके समर्थक अपनी पूरी ताकत झोंक कर चुनाव के नतीजे को अपने पक्ष में करने के लिए की जान लगाकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, अब देखने वाली बात होगी कि रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के मतदाता पिछले 5 साल में अपने विधायक प्रकाश नायक से और उनके व उनके बेटे और उनके समर्थकों से और उनकी ओर से किए गए क्रियाकलापों से कितने संतुष्ट हैं. इन सब बातों और तथ्यों का आकलन करके मतदाता इस चुनाव में मतदान करेगा तब यह तय होगा कि रायगढ़ विधानसभा के लोग पूर्व विधायक को दोबारा सत्ता की चाबी सौपेंगे या किसी नए व्यक्ति पर 5 साल के लिए दांव लगाएंगे..
……To be continue